Home Meerut विपक्ष के जातीय चक्रव्यूह में फंसा भाजपा का चुनावी रथ

विपक्ष के जातीय चक्रव्यूह में फंसा भाजपा का चुनावी रथ

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– गाजियाबाद से लेकर बिजनौर तक भाजपा के सामने खड़ी हुई चुनौती
– क्षत्रियों की नाराजगी इस चुनौती को कर रही और ज्यादा गंभीर


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। डेढ़ दशक बाद चुनाव फिर से जातीय समीकरण की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं। ऐसे में विपक्ष ने चक्रव्यूह तैयार किया है, उसमें भाजपा का चुनावी रथ फंसता नजर आ रहा है। गाजियाबाद से लेकर बिजनौर तक हालात एक से ही नजर आ रहे हैं।

गाजियाबाद सीट पर भाजपा ने ठाकुर को हटाते हुए वैश्य को चुनाव मैदान में उतारा है। ठाकुर बिरादरी इससे नाराज है। वहीं कांग्रेस ने ब्राह्मण तो बसपा ने ठाकुर कार्ड खेला है। ब्राह्मण और ठाकुर पिछले चुनाव तक भाजपा का वोटर था। लेकिन यदि जाति के आधार पर वोट हुआ तो भाजपा यहां फंस सकती है।

मेरठ में भाजपा ने खत्री बिरादरी से अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। उनके सामने बसपा ने त्यागी और सपा ने गुर्जर कार्ड खेला है। त्यागी बिरादरी जहां भाजपा का मूल वोट बैंक माना जाता है, तो गुर्जर भी अपनी बिरादरी का प्रत्याशी न होने पर भाजपा के पक्ष में वोट करता है। लेकिन यहां त्यागी और गुर्जर दोनों ही सामने आने से भाजपा के वोट बैंक में कमी आई है।

मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा और सपा ने जाट तो बसपा ने प्रजापति प्रत्याशी उतारा है। भाजपा के वोट बैंक से प्रजापति तो कट ही रहे हैं, ठाकुरों की नाराजगी ने अलग से संकट पैदा कर दिया है। इसके साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी सुनील त्यागी ने भी भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी है। जबकि जाट वोटों का बंटवारा तय है। गुर्जर वोट भी भाजपा को मिलेगा, इसमे संशय है।

कैराना सीट पर भाजपा ने हिंदू गुर्जर, सपा ने मुस्लिम गुर्जर और बसपा ने ठाकुर प्रत्याशी उतारा है। यहां पर जाट वोटों का रूख सपा और रालोद की तरफ रहता है। ऐसे में जाट वोटों में बंटवारा होना तय है। वहीं गुर्जर वोटों में भी बंटवारे की बात लोग कह रहे हैं। ठाकुर वोट अपने सजातीय प्रत्याशी को जाने के बाद भाजपा यहां भी घिर गई है।

बिजनौर सीट पर भी मामला फंसा हुआ है। भाजपा गठबंधन से रालोद ने गुर्जर, बसपा ने जाट और सपा ने अति पिछड़ा वर्ग से सैनी पर दांव खेला है। बिजनौर सीट पर गुर्जर काफी संख्या में है। लेकिन जाट वोटों के साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के वोट कटने से रालोद के सामने यहां संकट आ गया है।

बागपत सीट पर दो जाट और एक गुर्जर प्रत्याशी हैं। जाट वोटों का बंटवारा होगा तो गुर्जर वोट लगभग पूरी तरह अलग जा सकता है। ऐसे में रालोद को जाट वोटों के साथ ही यहां पर भाजपा के अति पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के वोटों की दरकार होगी। हालांकि यह सीट रालोद प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान के व्यवहार को लेकर मजबूत नजर आ रही है।

कुल मिलाकर साफ है कि विपक्ष के जातीय समीकरण ने भाजपा को चारो तरफ से घेर लिया है। गाजियाबाद जहां पर बसपा ने पहले पंजाबी कार्ड खेला था, वहां पर उसे बदलकर ठाकुर प्रत्याशी उतार दिया है। बताया जा रहा है कि इस सीट पर करीब पांच लाख ठाकुर हैं और वह भाजपा से नाराज हैं। ऐसा ही सपा ने मेरठ में किया दलित प्रत्याशी का टिकट काटकर गुर्जर को प्रत्याशी बनाकर भाजपा की परेशानी बढ़ा दी।

बसपा ने सपा से भी दो कदम आगे जाते हुए इस चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दो ठाकुर प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। गाजियाबाद के साथ ही कैराना सीट पर ठाकुर को उतारकर पश्चिम की राजनीति में हलचल मचा दी है।

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