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नीतिगत रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित रहेगी: आरबीआई गवर्नर

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास
  • आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “नीतिगत रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित रहेगी”

नई दिल्ली : RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “हम चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.2% लगा रहे हैं, जिसमें पहली तिमाही में 7.3%, दूसरी तिमाही में 7.2%, तीसरी तिमाही में 7.3% और चौथी तिमाही में 7.2% रहेगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।”

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “मौद्रिक नीति समिति ने 4:2 के बहुमत से पॉलिसी रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। फलस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 6.25% पर बनी हुई है, और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75% पर बनी हुई है…”

Repo Rate में आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया गया था और तब उसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। उसके बाद से दरें स्थिर हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले आरबीआई की बहुप्रतीक्षित मौद्रिक नीति समिति बैठक शुक्रवार समाप्त हो गई। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक समाप्त होने के बाद बताया कि समिति ने एक बार फिर से मुख्य नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है।

Repo Rate 16 महीने से इस स्तर पर स्थिर

इसका मतलब हुआ कि रेपो रेट अभी भी 6.5 फीसदी पर स्थिर रहने वाली है। यह रिजर्व बैंक की ताकतवर मौद्रिक नीति समिति की लगाातर 8वीं बैठक है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेंट्रल बैंक की एमपीसी ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था और तब उसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। यानी 16 महीने से रेपो रेट एक ही स्तर पर स्थिर है।

अभी नहीं मिलेगा सस्ते लोन का लाभ

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास के ऐलान से उन लोगों को निराशा हाथ लगी है, जो ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहे थे। Repo Rate में बदलाव नहीं होने से लोगों के ईएमआई के बोझ में भी कोई बदलाव नहीं होने वाला है। वहीं दूसरी ओर यह ऐलान वैसे निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, जो एफडी में पैसे लगाना पसंद करते हैं। ज्यादा रेपो रेट के बने रहने का मतलब है कि एफडी पर अभी ज्यादा ब्याज का लाभ मिलता रहेगा।

क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?

रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं, जिसके आधार पर आरबीआई से बैंकों को पैसे मिलते हैं. इस कारण जब भी रेपो रेट में बदलाव होता है, पर्सनल लोन से लेकर कार लोन और होम लोन तक की ब्याज दरें बदल जाती हैं। Repo Rate में कमी से लोन का ब्याज कम हो जाता है, जबकि रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे हो जाते हैं. इसी तरह रिजर्व बैंक अपने पास जमा पैसे पर जिस दर के हिसाब से बैंकों को रिटर्न में ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।

Repo Rate स्थिर रखने पर इतने सदस्य सहमत

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज शुक्रवार को बैठक के बाद कहा- मौद्रिक नीति समिति ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। एमपीसी के 6 सदस्यों में से 4 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। समिति ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया है।

महंगाई से बनी हुई है आरबीआई की चिंता

इससे पहले अप्रैल महीने में चालू वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक हुई थी। एमपीसी ने उस बैठक में भी महंगाई का हवाला देकर रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था। दरअसल रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई को 4 फीसदी से नीचे लाना चाहता है। पिछले महीने खुदरा महंगाई कम होकर 11 महीने के निचले स्तर पर तो आ गई, लेकिन अभी भी वह 4.83 फीसदी के साथ आरबीआई के लक्ष्य से ठीक-ठाक ऊपर है। खाने-पीने की चीजों की महंगाई खास तौर पर परेशान कर रही है, जिसकी दर मई महीने में चार महीने के उच्च स्तर 8.7 फीसदी पर पहुंच गई।

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