- मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायत का अधूरा निस्तारण, फरियादी परेशान।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। आवास एवं विकास परिषद द्वारा भूखंड आवंटन में किए गए खेल को लेकर पीड़ित को शासन स्तर से भी न्याय नहीं मिला है। अपनों को बचाने के लिए आवास आयुक्त ने भी इसे तकनीकी त्रुटि मानते हुए पल्ला झाड़ लिया है। ऐसे में अब पीड़ित न्यायालय जाने को मजबूर हो रहा है।
आवास एवं विकास परिषद की योजना जागृति विहार एक्सटेंशन में कुछ भूखंडों की गत वर्ष नीलामी की गई थी। जिसमें एक भूखंड संख्या 3/97 उच्च बोली आने पर पिंटू पुत्र ओमपाल के नाम आवंटित हुआ था। लेकिन इस भूखंड आवंटन से पहले ही संपत्ति अधिकारी को पता चला कि उक्त भूखंड एससी, एमपी, एमएलए और स्वतंत्रता सैनानी के लिए आरक्षित है। जिसके कारण संपत्ति अधिकारी की तरफ से एक पत्र जारी कर पिंटू से पूछा गया कि क्या उन्होंने आरक्षित श्रेणी के तहत नीलामी में प्रतिभाग किया था।
लेकिन पिंटू की तरफ से जवाब भेजा गया कि उन्होंने सामान्य वर्ग में ही नीलामी में प्रतिभाग किया था। इस जवाब के करीब चार-पांच माह बाद संपत्ति अधिकारी की तरफ से पिंटू को आवंटन पत्र जारी कर दिया गया। जिसके बाद पिंटू ने भूखंड की समस्त धनराशि जमा करने के साथ ही करीब चार लाख रुपये के स्टांप पेपर भी रजिस्ट्री अपने नाम कराने के लिए खरीद लिए।
इसी बीच आवास एवं विकास परिषद की तरफ से पिंटू को उनके भूखंड आवंटन पत्र के निरस्तीकरण का पत्र प्राप्त हुआ। जिस पर पिंटू द्वारा कई जगहशिकायत की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद पिंटू ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। वहां से आवास आयुक्त ने शिकायत निस्तारित करते हुए बताया कि उक्त भूखंड आरक्षित श्रेणी का था, लेकिन तकनीकी त्रुटि के कारण सामान्य वर्ग में आवंटित हो गया। इसलिए आवंटी अपनी धनराशि वापस ले लें।
लेकिन आवास आयुक्त ने पिंटू द्वारा की गई पूरी शिकायत का निस्तारण करना गवारा नहीं समझा। क्योंकि पिंटू ने भ्रष्टाचार और सांठगांठ का न केवल आरोप लगाया है, बल्कि उसके साक्ष्य भी दिए हैं। क्योंकि जब पिंटू स्वयं बता चुका था कि वह सामान्य वर्ग से है, तो उसे कैसे प्लॉट आवंटित कर दिया गया। इसके बाद समस्त धनराशि जमा कराने के साथ स्टांप पेपर भी खरीदवा लिए गए।
लेकिन आवास आयुक्त ने अपने मातहतों को बचाने के लिए पूरा खेल कर दिया।
उन्होंने शिकायत को सिर्फ तकनीकी त्रुटि बताते हुए निस्तारित कर दिया। पिंटू ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आवास एवं विकास परिषद में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत की है।
नेता के दबाव में हुआ खेल: इस पूरे मामले में चर्चा है कि पिंटू को जो प्लॉट आवंटित हुआ है, वह बहुत अच्छी लोकेशन पर है। ऐसे में भविष्य में उसकी कीमत नीलामी की बोली से ज्यादा होना तय है। इसी को देखते हुए सत्ता पक्ष के एक नेता के दबाव में इस प्लॉट को लेकर खेल किया गया है। जिसकी पहुंच शासन स्तर तक भी है। ऐसे में नेता के दबाव में पिंटू को बली का बकरा बना दिया गया।
हाईकोर्ट जाऊंगा पूरा मामला लेकर
पिंटू ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री के यहां से भी न्याय नहीं मिलता है, तो वह इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे। क्योंकि उनके पास तमाम साक्ष्य मौजूद हैं। जिससे आवास एवं विकास परिषद में चल रहे भ्रष्टाचार और सांठगांठ का खेल पूरी तरह उजागर हो जाएगा।
मुझे नहीं करनी बात
इस मामले में संपत्ति अधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि मामला शासन स्तर का है, इसलिए वह इस मामले में कोई बात नहीं करेंगे। हालांकि उनके द्वारा पत्र जारी करने और पिंटू के जवाब के बाद भी कैसे आवंटन पत्र जारी कर दिया, इस पर भी उन्होंने कुछ कहने से साफ इंकार कर दिया।
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