Tuesday, October 14, 2025
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आवास विकास का कारनामा: विवादित भूखंड को दोबारा कर दिया नीलाम

पूरी हठधर्मिता के साथ आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी और कर्मचारी बंदरबांट में लगे हुए हैं। हाल ही में जिस प्लॉट को लेकर विवाद चल रहा है और उसका मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। फिर से उस प्लॉट को आवास एवं विकास परिषद ने दोबारा नीलाम कर दिया।

  • आवास विकास का कारनामा: प्लॉट को लेकर हाईकोर्ट में चल रहा है वाद।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। आवास एवं विकास परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार पर शायद सरकार भी अंकुश लगाने में कामयाब नहीं है। पूरी हठधर्मिता के साथ आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी और कर्मचारी बंदरबांट में लगे हुए हैं। हाल ही में जिस प्लॉट को लेकर विवाद चल रहा है और उसका मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। फिर से उस प्लॉट को आवास एवं विकास परिषद ने दोबारा नीलाम कर दिया। अब याचिकाकर्ता एक बार फिर हाईकोर्ट में अवमानना का केस डालने की तैयारी कर रहा है।

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आवास एवं विकास परिषद ने करीब छह माह पहले भूखंड नीलामी के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें एक प्लॉट जागृति विहार एक्सटेंशन की स्कीम नंबर 11 में प्लॉट संख्या 3/97 जो कि 156 वर्ग गज का है, उसकी भी नीलामी की गई थी। यह नीलामी पिंटू पुत्र ओमपाल के नाम पचास लाख रुपये में छोड़ी गई थी। जिसका पूरा पैसा जमा करने के साथ ही रजिस्ट्री कराने के लिए स्टांप पेपर आदि खरीदकर पिंटू ने आवास एवं विकास परिषद के संपत्ति अधिकारी सुनील कुमार शर्मा के पास जमा कर दिए थे।

 

 

 

 

लेकिन रजिस्ट्री से ठीक पहले आवास एवं विकास परिषद की तरफ से बताया गया पिंटू के नाम छोड़ा गया प्लॉट आरक्षित श्रेणी का है। यह प्लॉट सिर्फ अनुसूचित जाति, जनजाति या विधायक, सांसद के नाम ही छोड़ा जा सकता है। जिस पर पिंटू ने आपत्ति दर्ज कराई थी। क्योंकि विज्ञापन निकालते वक्त उक्त प्लॉट को आरक्षित श्रेणी में नहीं दर्शाया गया था। लेकिन आवास एवं विकास परिषद में शासन स्तर तक शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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शिकायत का निस्तारण न होने पर पिंटू ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी, जिस पर अभी सुनवाई चल रही है। लेकिन इसी बीच आवास एवं विकास परिषद के संपत्ति अधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने फिर से खेल कर दिया और उक्त प्लॉट 3/97 को दोबारा से नीलाम प्रक्रिया में शामिल कर दिया और इस बार उसकी आरक्षित श्रेणी खोली गई। उक्त प्लॉट 22अगस्त 2025 को नीलाम कर दिया गया।
ऐसे में इस विवादित प्लॉट जिसका मामला कोर्ट में चल रहा है, उसे दोबारा से बिना कोर्ट से वाद निस्तारित हुए दोबारा से नीलामी में शामिल करना न केवल कोर्ट की अवमानना का मामला बना रहा है, बल्कि यह भी दर्शा रहा है कि आवास एवं विकास परिषद में भ्रष्टाचार और मुठमर्दी चरम पर है।

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सेंट्रल मार्केट में पहले ही फंसा है आवास-विकास

आवास एवं विकास परिषद का यह भ्रष्टाचार तब भी चल रहा है, जब वह सेंट्रल मार्केट प्रकरण में व्यापारियों के साथ खुद भी फंसा हुआ है। क्योंकि अवैध निर्माण कराने में आवास एवं विकास परिषद के तत्कालीन अधिकारी भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं।

 

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