Home उत्तर प्रदेश Meerut सारस को भा रहा गंगा का खादर, संख्या में हुआ इजाफा

सारस को भा रहा गंगा का खादर, संख्या में हुआ इजाफा

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सारस
  • वर्ष 2022 में ग्रीष्मकालीन गणना में 47 सारस दिखे थे।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। मेरठ की आवोहवा प्रदेश के राज्य पक्षी सारस को रास आने लगी है। हस्तिनापुर में गंगा खादर के गांवों में खूबसूरत सारस के दिखने से वन विभाग अब इनकी संख्या बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

वर्ष 2023 में कराई गई ग्रीष्मकालीन जनगणना में सारस की संख्या बढ़ कर 51 हो गई है। इनमें 47 वयस्क और चार शिशु सारस देखे गए हैं। वर्ष 2022 में इनकी संख्या 47 थी।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव उत्तर प्रदेश लखनऊ के निर्देश पर 20 जून 2024 व 21 जून2024 को ग्रीष्मकालीन सारस गणना पूरी की जानी थी। इस वर्ष 2023 ग्रीष्मकालीन सारस गणना में जनपद मेरठ में 51 सारस देखे गये। जिनमें 47 व्यस्क एवं 4 बच्चे देखे गये। इससे पूर्व वर्ष 2022 ग्रीष्मकालीन सारस गणना में जनपद मेरठ में 47 सारस दिखायी दिये थे एवं वर्ष 2023 में 45 सारस देखे गये थे।

विगत वर्षों एवं वर्तमान वर्ष में सारस मुख्य रूप से मालीपुर भीकुण्ड सराय खादर, द्रोपदी घाट, गणेशपुर चेतावाला मार्ग, सिकन्दरपुर वन ब्लाक में सारस दिखायी दिये । गणना कार्य मे वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ विश्व प्रकृति निधि-भारत, शिक्षण संस्थाओं, प्रबुद्ध नागरिकों और स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग रहा।

डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि 01 जुलाई 2014 को सारस को राज्य पक्षी घोषित किया गया था । सारस क्रेन प्रजाति ऐतिहासिक रूप से भारत के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी तराई क्षेत्रों में गंगा नदी के मैदानों में पाई जाती है। भारत में सारस क्रेन को पवित्र पक्षी माना जाता है व इंसान द्वारा इसे कभी नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है।

सारस क्रेन को भारत में हमेशा विशेषाधिकार प्राप्त सामाजिक दर्जा प्राप्त है। इस पक्षी के साथ कई मिथक जुड़े हुए हैं। इस पक्षी को बिना शर्त प्यार और भक्ति और सौभाग्य के शाश्वत प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में नवविवाहित जोड़ों को एक सारस जोड़ी को देखने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि अगर जोड़े में से एक पक्षी की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा किसी भी भोजन या पानी को मना कर भुखमरी की ओर बढ जाता है।

सारस पक्षी की पहचान निम्न प्रकार की जाती है। व्यस्क सारस क्रेन के ग्रे रंग के पंख और शरीर लाल रंग का सिर एवं गर्दन होती है। चोंच तीखी लंबी और हरी होती है। नर व मादा में रंगों में कोई भेद नहीं होता परंतु नर औसतन मादा से बड़े होते है। नर के सिर व गर्दन का लाल रंग प्रजनन के मौसम में ज्यादा चमकदार होता है। युवा सारस क्रेन का रंग भूरा होता है जो कि उम्र के साथ-साथ बदलता रहता है। अव्यस्कों की चोंच का निचला भाग पीला व सिर भूरा होता है और पंखों से ढका रहता है। सिर के पास व पीछे का हिस्सा नुकीले पंखों से ढका रहता है।

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