Home News Analysis मतदाताओं को देखकर शांत, प्रत्याशी पूरा दिन रहे अशांत

मतदाताओं को देखकर शांत, प्रत्याशी पूरा दिन रहे अशांत

पश्चिम की सात सीटों पर मतदाताओं ने नहीं खोले पत्ते, मुस्लिम वोटों के रुख को पहचान नहीं पाए प्रत्याशी.

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  • गर्मी के बीच बहुत ही धीमी रही मतदान की गति।

अनुज मित्तल, समाचार संपादक 

मेरठ। लोकसभा चुनाव 2024 का सियासी पारा तेजी से बढ़ा, लेकिन प्रथम चरण के मतदान में मौसम के तापमान ने सियासी पारे के तेवर ढीले कर दिए। सुबह के समय तो मतदान की गति कुछ तेज नजर आई। लेकिन जैसे-जैसे आसमान में सूरज चढ़ता गया, वैसे-वैसे बूथों पर मतदान का प्रतिशत नीचे गिरता रहा। हालांकि इसके पीछे एक बड़ा कारण इस बार कुछ जाति विशेष के लोगों में नाराजगी भी नजर आया।

प्रथम चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर सीट पर मतदान था। सुबह से ही हर बूथ और मतदान केंद्र पर हलचल तेज थी। लेकिन प्रत्याशियों के समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को छोड़ दें तो आम मतदाताओं के बीच पूरी तरह शांति थी। कोई भी इनके भीतर का हाल समझने में सफल नहीं हो पाया।

मुस्लिम मतदाताओं की चुप्पी ने किया बेचैन

मुस्लिम वोटों पर सबकी नजर थी। भाजपा, सपा और बसपा तीनों की नजर अपने-अपने वोट बैंक के साथ ही सबसे ज्यादा नजर मुस्लिम वोटों पर थी। क्योंकि मुस्लिम वोटों का धु्रवीकरण या बंटवारा? इस चुनाव को प्रभावित करने का दम रखता है। मुजफ्फ रनगर, कैराना, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर में मुस्लिम वोट एक तरफा नजर आया। लेकिन बिजनौर में कहीं एक तरफा तो कहीं-कहीं बंटा हुआ नजर आया। जिसके चलते इन सभी सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है।

भाजपा के लिए आसान नहीं दिखाई दे रही राह

इस बार मतदान सांप्रदायिक धु्रवीकरण के तहत न होकर जातीय नजर आया। प्रत्याशियों को उसके सजातीय मतदाताओं ने खुलकर वोट डाले, तो हिंदू वोटरों का बंटवारा भी जमकर हुआ। जहां नाराजगी की बात कही जा रही थी, वहां पर मतदान बहुत कम हुआ और जहां पर हुआ, वहां वोट बंटे हुए नजर आए। जो भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है।

नहीं नजर आया नेताओं का जादू

प्रथम चरण के मतदान के लिए भाजपा ने सबसे ज्यादा अपने स्टार प्रचारक मैदान में उतारे थे। जबकि सपा और बसपा का प्रचार एक-एक जनसभा तक सीमित होकर रह गया। लेकिन भाजपा के स्टार प्रचारकों का जादू मतदान में नजर नहीं आया, क्योंकि कहीं पर भी मतदान को लेकर ऐसा जोश या उत्साह नहीं था कि ऐसा लगे कि यहां पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जनसभा करके गए हैं।

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