Home Meerut जो बढ़ाएगा अपने पक्ष में मतदान, वही मारेगा दूसरे चरण का मैदान

जो बढ़ाएगा अपने पक्ष में मतदान, वही मारेगा दूसरे चरण का मैदान

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– पहले चरण का मतदान देख दूसरे चरण में होगा रोचक मुकाबला
– भाजपा ने मतदान बढ़ाने की रणनीति पर तेजी से शुरू किया काम
– सपा और बसपा ने भी अपने मूल वोट बैंक का मतदान बढ़ाने के साथ सेंधमारी पर किया फोकस


अनुज मित्तल, समाचार संपादक

मेरठ। लोकसभा चुनाव 2024 का महारण बेहद रोचक होता जा रहा है। अभी तो पहले ही चरण का मतदान हुआ है, लेकिन जिस तरह राजनीतिक दलों के नेताओं की जुबानी जंग तीखी होती जा रही है, उससे चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। ऐसे में प्रथम चरण में झटका खाए राजनीतिक दल दूसरे चरण में अपनी स्थिति मजबूत करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। इसके लिए सभी का सबसे पहला प्रयास अपने-अपने पक्ष के मतदाताओं का मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर है।

मेरठ सीट के साथ ही बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और बुलंदशहर लोकसभा सीट पर चुनाव है। इन पांच सीटों में बुलंदशहर सुरक्षित सीट है, लेकिन भाजपा यहां पर लगातार दो बार से न केवल जीत हासिल कर रही है, बल्कि बड़े अंतर से जीत हासिल हो रही है। यहां का जातीय समीकरण भी भाजपा के अनुकूल रहा है। लेकिन इस बार यहां पर भी ठाकुर और ब्राहमण समाज की नाराजगी यदि बनी रहती है, तो भाजपा के सामने मुश्किल आ सकती है। क्योंकि ब्राह्मण और ठाकुरों का वोट यहां पर दो-दो लाख से ज्यादा है।

बागपत में भाजपा गठबंधन से रालोद प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान का चुनाव शुरू में आसान माना जा रहा था। लेकिन यहां पर भाजपाइयों की उदासीनता के साथ ही ब्राहमण समाज की सपा प्रत्याशी और गुर्जर समाज की बसपा प्रत्याशी के पक्ष में लामबंदी के चलते मामला फंस रहा है। एक बड़ी बात ये है कि यहां पर मुस्लिम इस वक्त भाजपा का साथ होने से रालोद से पूरी तरह छिटका हुआ नजर आ रहा है। ऐसे में अति पिछड़ों के सहारे ही भाजपा गठबंधन चुनावी नैया पार लगा सकता है।

गाजियाबाद सीट भी ठाकुर बिरादरी में फंस गयी है। यहां पर अप्रत्याशित रूप से बसपा ने ठाकुर तो सपा गठबंधन से कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारा है। ऐसे में वोटों के बंटवारे में भाजपा की जीत यहां पर उतनी आसान नजर नहीं आ रही है, जितना 2014 और 2019 में हुई थी। यदि वोटों का बंटवारा उसी तरह हुआ, जैसा कि कांगे्रस और बसपा प्रत्याशी दावा कर रहे हैं, तो भाजपा के सामने बड़ी मुश्किल फंस सकती है। जबकि यहां पर भाजपा हैट्रिक लगाने की सोच रही है।

गौतमबुद्धनगर सीट पर भी भाजपा का जातीय गणित भी इस बार सपा और बसपा ने बिगाड़ दिया है। यहां पर सपा ने गुर्जर तो बसपा ने ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है। यदि इस सीट पर ठाकुर लामबंद हो जाते हैं तो दलित वोटों के सहारे भाजपा को मुश्किल में डाल सकते हैं। वहीं गुर्जरों की लामबंदी के बीच मुस्लिम वोटों का धु्रवीकरण अलग से भाजपा का खेल बिगाड़ देगा। ऐसे में भाजपा का यहां पर भी हैट्रिक का सपना टूट सकता है।

भाजपा की सबसे हॉट सीट बन चुकी मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर धरातल पर माहौल को भांपते हुए भाजपा ने इस समय पूरा जोर लगाया हुआ है। यह अकेली सीट है, जिसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संवाद, जनसभा, रोड शो आदि करने के लिए पांच बार आ चुके हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अन्य कई कद्दावर नेता भी यहां आकर प्रचार कर चुके हैं।

प्रचार पर गौर करें तो भाजपा अन्य सभी प्रत्याशियों पर भारी पड़ रही है। तमाम संसाधन भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में झोंक रखे हैं। उसके स्थानीय सांसद, राज्यसभा सदस्य, प्रदेश सरकार के मंत्री, विधायक, एमएलसी, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष तमाम जनप्रतिनिधि रात दिन प्रचार और संपर्क में जुटे हुए हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं पर अगर ध्यान दें तो उनमें अभी भी वह जोश नजर नहीं आ रहा है, जिसके बूते कहा जा सके कि 26 अप्रैल को वह रिकार्ड मतदान करा पाएंगे। क्योंकि इस सीट का गणित साफ है कि यदि मतदान 60 प्रतिशत के आसपास रहता है, तो भाजपा मुश्किल में फंस सकती है। लेकिन अगर मतदान 65 प्रतिशत से ऊपर जाता है, तो फिर भाजपा के विजय रथ को रोकना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।

प्रत्याशी चयन में बसपा का जातीय समीकरण सब पर भारी

दूसरे चरण के चुनाव में सभी दलों ने जो प्रत्याशी उतारे हैं, उसमें जातीय समीकरण साधने में बसपा सबसे आगे रही है। बसपा ने मेरठ सीट पर त्यागी, बागपत से गुर्जर, गाजियाबाद और नोएडा से ठाकुर को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने मेरठ से दलित, बागपत से ब्राह्मण, नोएडा से गुर्जर और गाजियाबाद से गठबंधन के तहत कांग्रेस ने ब्राह्मण को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने मेरठ से खत्री समाज से प्रत्याशी उतारा है, हालांकि कुछ लोग उनके वैश्य होने का दावा कर रहे हैं। ऐसे ही गाजियाबाद से भी वैश्य और नोएडा से ब्राह्मण को मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा गठबंधन से रालोद ने जाट बिरादरी को प्रतिनिधित्व दिया है।

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