मेरठ। जिले को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल सके इसके लिए नगर-निगम व जिला प्रशासन तमाम तरह की कोशिशें कर रहा है। जिहां नगर निगम शहर के चौराहों का सौंदर्यकरण कर रहा है तो प्रशासनिक स्तर पर शहर की सड़कों को बनाकर उन्हें चमकाया जा रहा है। पीडब्यूडी और निगम इन सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी उठा रहे है। वन विभाग पेड़ लगा रहा है जिससे शहर की जनता को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिल सके। लेकिन इन सबके बीच शहर के कई इलाकें है जहां रहने वाली बड़ी आबादी नर्कीय जीवन जीने को मजबूर है। ऐसे में जिले को स्मार्ट सिटी बनाने के सभी दावे हवा-हवाई साबित हो रहे है।
– सड़कों पर गंदगी का अंबार
नगर-निगम के चुनाव हाल ही में संपन्न हुए है, जाहिर है नए पार्षदो ने अपने क्षेत्र की जनता से जो वादे किये थे उन्हें पूरा करने की कवायद भी शुरू कर दी होगी। लेकिन जिस जनता से साफ-सफाई के नाम पर वोट मांगी गई थी क्या उस जनता से किये गए वादों को पूरा किया जा रहा है। नगर निगम का वार्ड 80 किसी नर्क से कम नजर नहीं आ रहा है। इस वार्ड मेंं वैसे तो कुल वोटरों की संख्या करीब 15 हजार है लेकिन आबादी के हिसाब से यहां करीब 30 हजार लोग रहते है। सोमवार को इस वार्ड की सड़कों पर गंदगी के ढेर लगे नजर आए। स्थानीय लोगो का कहना है रोजाना इसी तरह के हालातों का सामना करना पड़ता है। दिन निकलने से लेकर रात सोने तक क्षेत्र में गंदगी से उठ रही बदबू में सांस लेनी पड़ती है। नालियां अटी पड़ी है तो सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है।
– पार्षद का दावा नगर आयुक्त भी नहीं सुनते
वार्ड 80 की सड़कों पर लगे गंदगी के ढेर को लेकर स्थानीय पार्षद गुड्डू अंसारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कई बार नगर आयुक्त को पत्र लिख चुके है। पशुपालन कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सैनी से भी शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। स्थानीय जनता परेशान है जो इसका ठीकरा हमारे ऊपर फोड़ रही है लेकिन हम नगर निगम के अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके है मगर कोई समाधान नहीं हो रहा है।