हर साल बढ़ रहे डिप्रेशन के 35 फीसदी मामले, मनोरोग चिकित्सकों के पास पहुंच रहे मामले
शारदा रिपोर्टर मेरठ। पिछले छह महीने में साइबर फ्रॉड से तनाव और डिप्रेशन के 35 फीसदी मामले बढ़ गए हैं। जबकि, देखने वाली बात यह है कि, 35 से 45 फीसदी साइबर ठगी के मामले हर साल बढ़ रहे हैं। जबकि, एक प्रतिशत लोग ही साइबर सिक्योरिटी के महत्व को समझते हैं। साइबर फ्रॉड के डर से लोगों का दिमाग हैंग तो हो ही रहा है। जबकि, तनाव, ओपीडी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।
केस-01
गंगानगर निवासी अमित वर्मा के एक दोस्त के साथ महीनेभर पहले एक साइबर ठगी हुई। साइबर ठगों ने बैंक अधिकारी बनकर उनसे ओटीपी मांगा और उनके खाते से 2 लाख रुपये गायब हो गए। इस घटना के बाद अमित भी काफी डर गए। हर अनजान नंबर से घबराने लगे। हर फोन कॉल पर शक करने लगे। अपने बैंक से भी बात करने में उन्हें डर लगने लगा। रात में नींद न आने और सिर में भारीपन की समस्या बढ़ गई। काउंसलर को दिखाया तो पता चला उनमें ओसीडी की परेशानी बढ़ गई है।
केस 2
काउंसलर्स की मदद ली: गढ़ रोड निवासी नेहा शर्मा ने तीन महीने पहले एक इंस्टाग्राम लिंक पर क्लिक कर दिया। जिससे उनके खाते से 10 हजार रुपये निकल गए। तब से वे किसी भी आॅनलाइन लिंक को खोलने से डरने लगी। स्थिति ये हुई कि उनके मन में हर समय साइबर फ्रॉड का डर सताने लगा। हर आॅनलाइन प्लेटफॉर्म फ्राड लगने लगा। मजबूरन उन्हें काउंसलर की मदद लेनी पडी।
केस 3
10 बार बदलते हैैं पासवर्ड:
आईटी सेक्टर में काम करने वाले शास्त्रीनगर निवासी राहुल त्यागी को साइबर सिक्योरिटी को लेकर इतनी चिंता हो गई है कि, वे दिन में 10 बार अपने बैंक और सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड बदलने लगे। फ्रॉड की खबरें देखकर खुद पर भरोसा नहीं रहा। दिमाग हर वक्त इसी में उलझा रहता है कि कहीं कोई अकाउंट को हैक न कर ले। डिप्रेशन रहने लगा। जिसके बाद उन्हें काउंसलर के पास जाना पड़ा।
जागरूकता की कमी बड़ी वजह
साइबर एक्सपटर्स के मुताबिक लगभग हर व्यक्ति अब आॅनलाइन बैंकिंग, यूपीआई और डिजिटल पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है। स्मार्टफोन सबके हाथ में है। लेकिन, साइबर सिक्योरिटी को लेकर जागरूकता अभी भी बहुत कम है। आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 1 प्रतिशत लोग ही साइबर सिक्योरिटी के महत्व को समझते हैं। कई लोग बिना जांचे- परखे लिंक पर क्लिक कर देते हैं। फिशिंग अटैक का शिकार हो जाते हैं।
डिप्रेशन में जा रहे लोग
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि साइबर फ्राड के बाद लोग सिर्फ पैसा नहीं खोते, बल्कि उनकी फाइनेंशियल स्थिति प्रभावित होती है। मेहनत की कमाई गंवा देने के बाद लोग तनाव, निराशा और डिप्रेशन में चले जाते हैं। साइबर ठगी या ऐसे ही किसी एक्सपीरियंस के बाद लोगों में डिप्रेशन भी मिल रहा है। एक बार ठगी का शिकार होने के बाद लोग हर डिजिटल एक्टिविटी से डरने लगते हैं। कुछ मामलों में देखा गया कि अपने किसी करीबी के साथ हुए साइबर फ्रॉड के असर के चलते वह खुद भी भविष्य में किसी भी आॅनलाइन लेन-देन से बचने लगे हैं।
ये बरतें सावधानी
– साइबर सिक्योरिटी को अपनाएं, ओवरथिंकिंग से बचें।
– ठगी का शिकार होने पर तुरंत साइबर सेल से संपर्क करें, खुद को दोष न दें।
– हर समय पासवर्ड बदलने या ट्रांजेक्शन चेक करने की आदत से बचें।
– साइबर फ्राड की जानकारी और बचाव के तरीके सीखें।
– अगर साइबर फ्राड के बाद घबराहट, नींद न आना या एंग्जायटी महसूस हो रही है, तो साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
लगातार डर और चिंता से ब्रेन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। ऐसे कई मामले हमारे पास पहुंच रहे हैं। लोगों में सिरदर्द, नींद न आना और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो रही हैं। – डॉ। तरूण पाल, एचओडी न्यूरोलॉजिस्ट, मेरठ मेडिकल कॉलेज
साइबर फ्राड के बढ़ते मामलों के बाद लोगों में ओसीडी और एंग्जायटी के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हमारे पास 30 प्रतिशत तक ऐसे मामले बढ़ गए हैं। – डॉ। अनीता मोरल, साइकोलॉजिस्ट
साइबर फ्राड का डर लोगों को मानसिक रूप से बीमार बना रहा है। जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है ताकि लोग सतर्क रहें और बिना तनाव लिए सही साइबर सुरक्षा उपाय अपनाएं। – आर्य त्यागी, साइबर एक्सपर्ट