– उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में शासन ने की कार्रवाई।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। सरधना तहसील में उपजिलाधिकारी रहे कुमार भूपेंद्र के खिलाफ पशुचर की भूमि का अमल दरामद मामले में शासन द्वारा पदावनत करने की कार्रवाई को हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश शासन ने निरस्त कर दिया है। हालांकि अब कुमार भूपेंद्र सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
कुमार भूपेंद्र पर आरोप था कि उन्होंने तत्कालीन उपजिलाधिकारी, सरधना रहते हुए राजस्व अभिलेखों में दर्ज पशुचर भूमि (श्रेणी-5(3) (ग)) को नियम विरुद्ध तरीके से संबंधित पक्ष से मिलकर निजी हितों की पूर्ति के लिए अमल दरामद आदेश (राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का आदेश) पारित किया। यह आदेश 11 अगस्त 2016 को पारित किया गया था।
इस कृत्य के लिए उन पर उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली के तहत विभागीय कार्यवाही संस्थित की गई थी। शासन ने दिनांक 14 जनवरी 2021 को कार्यालय ज्ञाप जारी कर इस विभागीय कार्यवाही को ‘उपजिलाधिकारी के पद से तहसीलदार के पद पर अवनति किये जाने’ के दण्ड के साथ समाप्त कर दिया था।
कुमार भूपेन्द्र सिंह ने इस दण्डादेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में रिट दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने दो जनवरी 2024 को आदेश पारित करते हुए सभी कार्रवाई को निरस्त करने का आदेश जारी किया। आदेश में यह भी कहा कि कुमार भूपेंद्र 14 जनवरी 2021 से होने वाले वेतन के बकाए सहित सभी परिणामी सेवा लाभों का हकदार होंगे।
लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विशेष अपील योजित की। जिस पर नौ अप्रैल 2025 को विशेष अपील पर आदेश पारित करते हुए एकल पीठ द्वारा दण्ड के आदेश को अलग रखने और परिणामी लाभों का निर्देश देने के निर्णय में कोई त्रुटि न पाते हुए राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया।
इसके बाद अब शासन ने कुमार भूपेंद्र जो कि तहसीलदार हमीरपुर पद पर रहते हुए सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके सभी दंडादेश और अन्य कार्रवाई को निरस्त करने का आदेश दिया है।



