आंबेडकर पर अमित शाह के बयान को लेकर हंगामा

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  • कांग्रेस ने कहा माफी मांगो, भाजपा ने किया पलटवार।

एजेंसी,नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर दिए गए बयान पर बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने आंबेडकर के नाम के इस्तेमाल को फैशन बताया था। इस पर कांग्रेस ने शाह पर संविधान निर्माता का अपमान करने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर क्लिप्ड वीडियो शेयर करने और घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया है। विपक्षी सांसदों ने संसद में आंबेडकर की तस्वीरें लेकर शाह से माफी की मांग की। इस पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया है।

आज इस मामले को लेकर संसद में हंगामा भी देखने को मिला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शाह से इस्तीफा मांगा है। राज्यसभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फैशन बन गया है। उन्होंने कहा, अभी एक फैशन हो गया है – आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। शाह ने आगे कहा, सौ बार और नाम लीजिए, लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आपके मन में उनके लिए क्या भावना है?

उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार से मतभेद के चलते आंबेडकर को पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। शाह ने कहा, आंबेडकर जी ने कई बार कहा था कि अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ हो रहे व्यवहार से वे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आंबेडकर सरकार की नीतियों और अनुच्छेद 370 पर उसके रुख से भी खुश नहीं थे। शाह ने कहा, वे (मंत्रिमंडल से) इस्तीफा देना चाहते थे, उन्हें आश्वासन दिया गया, और जब आश्वासन पूरा नहीं हुआ, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

शाह पर भड़के राहुल और खरगे गृह मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा, जो मनुस्मृति का पालन करते हैं, उन्हें स्वाभाविक रूप से आंबेडकर से परेशानी होगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी शाह पर निशाना साधते हुए कहा, गृहमंत्री ने जो आज भरे सदन में बाबासाहेब का अपमान किया है, उससे ये फिर एक बार सिद्ध हो गया है कि भाजपा-आरएसएस तिरंगे के खिलाफ थे। उनके पुरखों ने अशोक चक्र का विरोध किया। संघ परिवार के लोग पहले दिन से भारत के संविधान के बजाय मनुस्मृति लागू करना चाहते थे।

 

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