– पैथोलॉजी लैब से मिलने वाले कमीशन के मोटे खेल में मरीजों की कट रही जेब
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। लाला लाजपत राय मेडिकल अस्पताल में मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक ही मेडिकल अस्पताल की लैब रिपोर्ट को नहीं मानते हैं और निजी लैब से जांच कराने की बात करते हैं। यही वजह है अस्पताल में निजी लैब के एजेंट 24 घंटे रहते हैं।
सूत्रों की मानें तो अस्पताल में भर्ती और ओपीडी के मरीजों की जांच की जाए तो इनमें अधिकांश के पास निजी लैब की जांच रिपोर्ट होती है।
मेडिकल प्रशासन ने अस्पताल में बाहरी लैब, अस्पताल के एजेंट्स को पकड़ने के लिए चिकित्सकों की कमेटी बनाई हुई है। कमेटी समय-समय पर औचक निरीक्षण करती है। लेकिन इसके बाद भी निजी लैब, अस्पताल के एजेंट चकमा दे देते हैं। किसी भी निजी लैब, रेडियोलॉजी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल के चिकित्सक इलाज नहीं कर सकते। मेडिकल में आते ही सभी जांच अस्पताल में ही होनी चाहिए।
लेकिन मेडिकल अस्पताल में इस नियम का पालन समय से नहीं किया जाता। सूत्रों की मानें तो यहां आने वाले मरीजों को कह दिया जाता है कि इस बीमारी के डाक्टर अस्पताल में नहीं हैं, दूसरे अस्पताल में मरीज को ले जाओ
अस्पताल में जांच की सभी सुविधा उपलब्ध
मेडिकल कॉलेज के प्रेस प्रवक्ता डा. अरविंद कुमार का कहना है कि मेडिकल में आए मरीजों को किसी निजी लैब, अल्ट्रासाउंड और रेडियोलॉजी सेंटर पर जाने की जरूरत नहीं है। सभी जांचों की सुविधा अस्पताल में उपलब्ध हैं। जो चिकित्सक निजी लैब, रेडियोलॉजी सेंटर की जांच कराकर मरीज का इलाज कर रहे हैं यह नियम विरुद्ध है। टीम ऐसे चिकित्सक, स्टाफ की गोपनीय जांच कर रही है जो बाहर से जांच कराने का दबाव मरीजों पर बनाते हैं।