- ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मेरठ अध्यक्ष गौरव शर्मा ने जिलाधिकारी को सौंपी ट्रैकों की चाबियां।
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। हिट एंड रन मामलों पर प्रस्तावित कानून के विरोध में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा के नेतृत्व में ट्रांसपोर्टरों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में दिया। इस दौरान ट्रांसपोर्टरों ने अपने वाहनों और कार्यालयों की चाबी भी सौंपते हुए कहा कि जब तक कानून में संशोधन नहीं होगा, तब हड़ताल वापस नहीं होगी। जिसके चलते दवा से लेकर दारू तक सभी चीजें महंगी हो जाएंगी।
गौरव शर्मा ने कहा कि हिट एंड रन की घटनाओं से निपटने हेतु, कड़े कदम उठाने के पीछे सरकार का इरादा अच्छा हो सकता है, परन्तु प्रस्तावित कानून में महत्वपूर्ण खामियां हैं, जिन पर तत्काल पुनर्विचार की आवश्यकता है। देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालक इस कानून के संभावित प्रभावों को लेकर बेहद आशंकित है।
संस्था सदस्यों ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट 2023 हितधारकों, विशेषकर परिवहन क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ किसी परामर्श के बिना पेश किया गया है। ट्रक चालक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के पहिए में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत इस समय परिवहन उद्योग में ड्राइवरों की कमी से जूझ रहा है। देश में लगभग 27 प्रतिशत ड्राइवरों का अभाव है। 10 साल की जेल की सजा सहित 7 लख रुपए के दंड का कड़ा प्रावधान व्यक्तियों को ड्राइवर के पेशे से हतोत्साहित करने की क्षमता रखता है। नए कानून से मौजूदा कमी बढ़ सकती है, और देश की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पैदा होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
सदस्यों ने कहा कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का नितांत अभाव है। प्रस्तावित कानून हिट एंड मामलों के लिए एक व्यापक जांच प्रोटोकॉल की रूपरेखा नहीं बताता है । वर्तमान में देश में बड़े वाहनों को दोष देने का एक अनकहा नियम आंख मूंदकर अपनाया जाता है, बिना इस बात पर विचार किए कि गलती किसकी है। भारी वाहनों पर स्वत: दोष मंढने के बजाय दुर्घटनाओं के कारणों की निष्पक्ष जांच न्याय के लिए महत्वपूर्ण है।
वहीं अनेकों हिट एंड रन मामलों में चालक दुर्घटना की जिम्मेदारी से बचने के इरादे से नहीं भागते है, इसके बजाय वह क्रोधित भीड़ और स्थानीय निवासियों द्वारा उत्पन्न संभावित खतरे से अपनी जान बचाने के लिए भागते हैं। सड़क पर सुरक्षा की कमी उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर करती है। दुर्घटना के समय क्रोधित भीड़ द्वारा वहां चालक पर हुए हमले में हमलावरों पर किसी प्रकार के दंड का प्रावधान नही किया गया है।
वक्ताओं ने कहा कि नया कानून विदेशो में बने कानूनों से कहीं ज्यादा सख्त बनाया गया है, परन्तु सड़को पर किसी प्रकार की सुविधा देने की बात नही की गई है। अनेको राज्य व राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक पॉइंट हैं जिन ओर अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें सुधार अपेक्षित हैं। राज्य /राष्ट्रीय राजमार्गों पर जेबरा क्रासिंग नही बानी है और जहाँ है भी वहां जनता बिना जेबरा क्रासिंग के कही से भी सड़क पर करती है जिस पर कोई विचार नही किया गया।
यही नहीं दो पहिया वाहन चालक अनेको स्थल पर डिवाइडर पर चढ़ कर सड़क पर करते बै जिस पर कोई ध्यान नही दिया गया। सम्पूर्ण भारत मे डीजल वाहन की 10 साल व पेट्रोल वाहन की 15 साल वैधता का कानून बने अनेको वर्ष बाद भी अवैध वहां अभी भी सड़को पर हैं जिनके कारण दुर्घटनाएं अधिक संभावित होती है। ऐसे वाहनों को सीज करने की कोई व्यापक पहल सरकार द्वारा नही की गयी है।
शहर के अंदर व बाहर मार्गों पर पुराने स्कूटर इंजन से बने जुगाड़ तथा अवैध ई -रिक्शाओं की बहुतायत होने पर दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। पुराने स्कूटर काटकर उनके इंजन से बनाए गए अवैध जुगाड़ जो दुर्घटनाओं के मुख्य कारण है उन्हें सीज करने की कोई पहल सरकार द्वारा नहीं की गई है।
विपुल सिंघल ने कहा कि यह कानून एक तरफ बनाया गया है जिसमें ड्राइवर की रोजी रोटी व उसके भविष्य की चिंता नहीं की गई है। देश भर में ट्रक चालक समुदाय के बीच अशांति की तीव्र लहर पैदा हो रही है और वह अपने रोजगार से विमुख हो रहे हैं।
दीपक गांधी ने कहा संस्था सड़क सुरक्षा और जवाबदेही में विश्वास रखती है, और साथ ही लाखों ट्रक चालकों की जीविका का भी समर्थन करती है।
संस्था मानती है कि चुनौतियों का सामना कर रहे परिवहन उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना एक सहयोगात्मक और संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है। संस्था सदस्यों का मानना है कि उक्त कानून में कड़े प्रावधान और देश में इसके दुष्परिणामों को बढ़ने से रोकने के लिए प्रस्तावित कानून पर व्यावहारिक पुनर्विचार आवश्यक है।