– कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस को लेकर सियासत गरमाई।
एजेंसी, नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस को लेकर सियासत गरमाती जा रही हैं। ऐसी खबरें थीं कि समाजवादी पार्टी भी कांशीराम का परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन करेगी। इसे समाजवादी पार्टी की अपने पीडीए वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद माना जा रहा है। इस कोशिश पर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला बोला है। उन्होंने उन्हें दलित विरोधी बताया है। बसपा अपने संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर नौ अक्तूबर को लखनऊ में एक विशाल रैली करने जा रही है। इसे 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर इसको लेकर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा, देश में जातिवादी व्यवस्था के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े बहुजनों को शोषित से शासक वर्ग बनाने के बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मिशनरी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवां को जिन्दा करके उसे नई गति प्रदान करने वाले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के जन्मदाता और संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के प्रति विरोधी पार्टियों में भी खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आदि इन पार्टियों का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण रहा है, जो कि सर्वविदित है।
उन्होंने लिखा है, इसीलिए आगामी नौ अक्टूबर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आदि करने का सपा प्रमुख की घोषणा घोर छलावा और लोगों को स्पष्टत: इनके मुंह में राम बगल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करने वाला ज्यादा लगता है। सपा ने ना केवल मान्यवर श्री कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दगा करके उनके मूवमेंट को यूपी में कमजोर करने की लगातार कोशिशें की हैं, बल्कि बीएसपी सरकार द्वारा दिनांक 17 अप्रैल 2008 को अलीगढ़ मंडल के अन्तर्गत कासगंज को जिला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाए गए नए जिले के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया।