मेरठ। सिद्धचक्र महा मंडल विधान के तीसरे दिन मुनि श्री श्रद्धानंद महाराज ने कहा कि वन में बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता है। जीवन में यदि गरीबी तो उसका कारण है। यदि अमीरी है तो भी उसका कोई कारण होता है। सुख और दुख का भी कोई कारण होता है। जीवन के अंत में मनुष्य को संयम के मार्ग पर चलना चाहिए। जीवन में सुख-दुख आते जाते हैं। धूप-छांव की तरह इसी का नाम संसार है।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री श्रद्धानंद जी मुनिराज ने कहा कि जीवन के सभी दिन एक से नहीं होते हैं। जिस तरह दिन के बाद रात आती है इसी तरह सुख-दुख आते जाते हैं। जीवन में प्रभु की कृपा के बिना व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। इसलिए प्रभु वंदना जरूरी है। समूह में प्रभु की अर्चना करना समूह में पूणार्जन कराता है। जीवन में सुख-शांति और आत्म कल्याण के लिए प्रभु की अर्चना करा चाहिए। सिद्ध चक्र महामंडल विधान में अनंतानंत सिद्ध भगवानों की महाअर्चना की जाती है। इससे महान अतिशय पुण्य का अर्जन होता है। ऐसे प्रभु की महाअर्चना करने को देव भी तरसते हैं।
मंदिर परिसर में विनोद जैन कपिल जैन सुभाष जैन मनोज जैन नवीन जैन सुरेश जैन नमन जैन अंशिका जैन अनिल जैन नीरू जैन पूनम जैन शोभा जैन आभा जैन, बबिता जैन, प्रखर जैन, सविता जैन, ऐशनी जैन आदि उपस्थित रहे।