– आमजन का जागरूक रहना जरूरी।

आकाश कुमार मेरठ । भारत उत्सवों का देश है । यहाँ हर पर्व प्रेम, सौहार्द, परंपरा और उमंग का प्रतीक है । दीपावली, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक मानी जाती है, हर वर्ष लोगों में उत्साह और उल्लास का संचार करती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस पावन पर्व की चमक के बीच अवैध पटाखों और विस्फोटक पदार्थों से हुए हादसे एक बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं । इन घटनाओं ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं हमारी खुशी दूसरों की जान का खतरा तो नहीं बन रही?
त्योहारों की मस्ती के बीच यह भूल जाना कि सुरक्षा और कानून की सीमाएँ भी जरूरी हैं, समाज के लिए खतरनाक संकेत है । क्योंकि त्योहारों की खुशी तभी पूर्ण होती है जब समाज के हर व्यक्ति तक उसका प्रकाश पहुंचे । यह तभी संभव है जब हम सब मिलकर जिम्मेदार नागरिक के रूप में जागरूकता, सुरक्षा और स्वच्छता का पालन करें, साथ ही साथ त्योहारों के अवसर पर पर्यावरण की सुरक्षा का भी ध्यान रखें ।

अवैध पटाखों से निकलने वाला धुआँ वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें छोड़ता है। इससे वायु प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है और दिपावली के बाद प्रदूषण सूचकांक कई शहरों में 400 से ऊपर पहुँच जाता है जो बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पशु-पक्षियों के लिए अत्यंत हानिकारक है। इन पटाखों में उपयोग होने वाले रसायन बेरियम नाइट्रेट, लेड और सल्फर फेफड़ों और त्वचा के लिए घातक हैं । जिससे सांस की बीमारी, एलर्जी और आंखों में जलन जैसी समस्याएँ भी आम हो जाती हैं।
हाल ही में कुछ अवैध पटाखे भण्डारों में विस्फोट देखने को भी मिलें है जिनके कारण भारी संख्या में जनहानि हुई है, उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के मियाँगंज इलाके में एक अवैध पटाखा निर्माण इकाई में लगभग 12 ब्लास्ट हुए । इस विस्फोट में 12 लोग घायल हुए, जिनमें 5 की स्थिति गंभीर चल रही है । यह विस्फोट इतना तेज था कि घर की छत उड़ गई, दीवारें ढह गईं और आसपास के अन्य घरों में दरारें आ गई ।
इसके अलावा बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश के ही कानपुर शहर के मिश्री बाजार इलाके में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे प्रदेश को हिला दिया । जांच में पाया गया कि यह विस्फोट अवैध पटाखों के भंडारण के कारण हुआ था। इसमें 8 लोग गंभीर रूप से घायल हुए और कई दुकानें जलकर राख हो गईं । पुलिस ने मौके से 100 क्विंटल से अधिक पटाखे जब्त किए और 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस प्रशासन पर लापरवाही आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों की कार्यवाही में एक एसीपी को हटाया गया और कई पुलिसकर्मी निलंबित भी हुए ।
लखनऊ के ग़ोसाइगंज में एक मोटरसाइकिल को अचानक सामने आयी गाय से टक्कर हुई, और उस बाइक पर ले जाए जा रहे पटाखों ने विस्फोट कर दिया । जानकारी के मुताबिक बाइक में बड़ी संख्या में पटाखे रखे थे, जो टक्कर के झटके या चिंगारी से विस्फोटित हो गए। प्रतापगढ़ जिले में बंद पड़े महिला महाविद्यालय में अवैध पटाखा निर्माण किया जा रहा था । विस्फोट में आस-पास के मकानों की दीवारें तक हिल गईं । पुलिस द्वारा मौके से 47 लाख रुपये की सामग्री बरामद की गई, हाल ही में जनपद अलीगढ़, मेरठ सहित कई जिलों में लाखों रुपयों के अवैध पटाखें सीज किये गए एवं आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है । ये घटनाएं इस बात का उदाहरण है कि कैसे कुछ लोग शिक्षा संस्थानों जैसे सुरक्षित स्थलों को भी अपराध की जगह बना लेते हैं। इन हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब प्रशासन के साथ साथ जनता को भी जागरूक होने की आवश्यकता है अन्यथा एक छोटी सी लापरवाही बड़ा विस्फोट का कारण बन सकती है ।
अवैध पटाखों के निर्माण और विस्फोट की सच्चाई यह है कि भारत में हर साल दीपावली से पहले हजारों टन पटाखे तैयार किए जाते हैं। इनमें से कई बिना लाइसेंस, बिना सुरक्षा उपकरणों और बिना गुणवत्ता जांच के बनाए जाते हैं। अवैध पटाखे सस्ते होते हैं, जिससे उपभोक्ता आकर्षित हो जाते हैं। यही मांग इन अपराधियों को प्रोत्साहन देती है। कई छोटे व्यापारी सुरक्षा और पर्यावरण मानकों को दरकिनार करके अवैध रूप से निर्माण करते हैं और बिना सुरक्षा मानकों वाले पटाखे सस्ते बनते हैं, जिससे मुनाफा बढ़ता है ।
भारत में अवैध पटाखों और विस्फोटक पदार्थों पर नियंत्रण के लिए कई कानून बने हैं जिनमें Explosives Act, 1884 जिसमें बिना अनुमति विस्फोटक पदार्थ बनाना, रखना या बेचना दंडनीय अपराध है और इसके अन्तर्गत दोषी पाये जाने पर आरोपी को 3 से 5 वर्ष तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है, Explosives Rules, 2008 में पटाखा निर्माण और भंडारण के लिए लाइसेंस अनिवार्यता एवं सुरक्षा उपकरण, दूरी मानक और रासायनिक सीमाएं तय की गई हैं । इनके अलावा भारतीय न्याय सहिंता के तहत भी कार्यवाही की जाती हैं । इन सब के बावजूद भी अवैध निर्माण की घटनाओं पर विराम नही लग रहा है, इसलिये अब आम जनता का जागरुक होना बेहद जरुरी है ताकि यह समस्या पूरी तरह से समाप्त हो सके ।
ये अवैध पटाखों से होने वाली घटनाएँ केवल हादसे नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक असंवेदनशीलता का परिणाम हैं। इसलिए हमें इन दिनों ऐसी कोई गतिविधि नहीं करनी चाहिए जो किसी के जीवन को अंधकार में धकेल दे । त्योहारों का उद्देश्य समाज में भय, प्रदूषण और शोक फैलाना नही बल्कि प्रेम, एकता और आनंद फैलाना है, कहावत है कि प्रकाश तभी स्थायी है जब उसकी लौ सुरक्षा और सजगता से जलती है । इसलिये अवैध पटाखों से होने वाली घटनाओं के लिये केवल प्रशासन ही नहीं है, बल्कि समाज के लिये भी सोचनीय विषय है, ऐसी परिस्थितियों में आमजन को केवल दर्शक नहीं, बल्कि सहयोगी और सतर्क नागरिक की भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
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