Monday, June 23, 2025
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मेरठ: ईसाई समुदाय पर बढ़ती हिंसा पर जताया आक्रोश

  • राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपते हुए की कार्रवाई की मांग।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। भारत में ईसाई समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा और अत्याचारों को लेकर सोमवार को राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के कार्यकर्ता कलक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपते हुए समस्या के समाधान की मांग की।

ज्ञापन सौंप रहे राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा ने बताया कि, जो संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, हम इस ज्ञापन को कई राज्यों में ईसाइयों द्वारा विशेष रूप से एससी, एसटी और ओबीसी पृष्ठभूमि के, सामना की जा रही बढ़ती हिंसा, भेदभाव और प्रणालीगत अन्याय पर गहरी पीड़ा के साथ प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि, प्रतिबद्ध नागरिकों के रूप में हम आपके नेतृत्व से इन खतरों को दूर करने की अपील करते हैं, जो हमारे गणतंत्र के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालते हैं।

ईसाई, जो भारत के 140 करोड़ लोगों में से 2.3% हैं, ने हमेशा संविधान के देशभक्ति, बंधुत्व, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों को बरकार रखा है जिसमे हमारे विश्वास को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता शामिल है। उन्होंने कहा कि, मक्षित हिंसा में खतरनाक वृद्धि ईसाई समुदाय को लक्षित हिंसा में खतरनाक वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से मूलनिवासी बहुजन पृष्ठभूमि से आने वाले ईसाइयों को। यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (यूसीएफ) के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में हिंसा और प्रताड़ना की 834 घटनाएं दर्ज की गई, जो 2023 में 734 से अधिक हैं और 2014 में 147 घटनाओं से लगभग चार गुना अधिक हैं।

दक्षिणपंथी संगठनों की भूमिका ब्राहमणवादी धर्म और संस्कृति के इर्द-गिर्द केंद्रित हिंदू राष्ट्र के असहिष्णु दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी संगठन यथा विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल आदि ईसाई समुदाय के खिलाफ शत्रुता और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर जिम्मेदार रहे हैं।

हम शांति और न्याय बहाल करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व से आग्रह करते हैं। भारत की एकता को बनाए रखने के लिए मणिपुर संकट का समाधान एसक्पना जरूरी है। नफरत भरे भाषण निर्वाचित नेताओं, जिनमें से अधिकांश भारतीय जनता पार्टी और दक्षिणपंथी अतिवादी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग हैं, के द्वारा नफरत भरे भाषणों से भीड़ भड़कती है, जो शांतिपूर्ण ईसाइयों को निशाना बनाती है और उन्हें किसी प्रकार से दंडित नहीं किया जाता।

 

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