शारदा रिपोर्टर मेरठ। क्राप सर्वे बहिष्कार को लेकर मंगलवार को पंचायत सहायक यूनियन उत्तर प्रदेश के दर्जनों सदस्यों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपते हुए समस्या के समाधान की मांग की।
ज्ञापन सौंपते हुए पंचायत सहायक यूनियन उत्तर प्रदेश के सदस्यों ने बताया कि, एपीस्टैक डिजिटल कॉप सर्वे कार्य करने में पंचायत सहायकों की डीसीएस अंतर्गत डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य लेखपालों के स्थान पर प्राइवेट सर्वेयरों द्वारा संपच कराए जाने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने बताया कि, उक्त निर्णय के अनुपालन में कृषि विभाग द्वारा जिलाधिकारियों के माध्यम से सर्वेयरों का चयन एवं उनके मानदेय/प्रोत्साहन की व्यवस्था की जा रही है, जिसका व्ययभार भी कृषि विभाग वहन करेगा।
उल्लेखनीय है कि, आदेश में पंचायत सहायकों को भी सर्वेपर के रूप में पोजित किए जाने की संभावना व्यक्त की गई है। इस संबंध में पंचायत सहायक यूनियन उत्तर प्रदेश अपना कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए यह स्पष्ट करना चाहती है कि, पंचायत सहायक निम्नलिखित ठोस कारणों के आधार पर उक्त कार्य को संपादित करने में पूर्णतः असमर्थ हैं। पंचायत सहायकों द्वारा क्रॉप सर्वे कार्य न कर पाने के प्रमुख कारण उचित तकनीकी संसाधनों मोबाइल फोन आदि का अभाव है। जबकि, अधिकांश पंचायत सहायकों के पास उचित क्षमता का स्मार्टफोन या जीपीएस सपोर्टेड मोबाइल उपकरण नहीं हैं, जो इस कार्य के लिए आवश्यक है। पंचायत सहायक ग्राम पंचायत सचिवालय का एकमात्र कर्मचारी है। उसके फील्ड में जाने से सचिवालय का संचालन माधित होता है।
उन्होंने कहा कि, कार्य का विभागीय असामंजस्य इसलिए है कि, एपीस्टैक क्रॉप सर्वे पूर्णत कृषि विभाग का कार्य है। यह पंचायती राज विभाग की नियमित कार्यसूची में सम्मिलित नहीं है। जबकि, प्रोत्साहन राशि अत्यंत न्यूनतम् प्रति गाहा या प्रति प्लॉट के हिसाब से जी राशि प्रस्तावित है वह अत्यंत अल्प है और कार्यभार की तुलना में अनुचित है। पंचायत सहायकों को निश्चित मानदेय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि, पंचायती राज विभाग के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव अन्य विभागीय कार्य करने से पंचायत सहायकों के मूल कार्य जैसे सचिवालय संचालन, जनसेवा केंद्र, पत्राचार, रिकॉर्ड संधारण आदि प्रभावित होते हैं। उच्च गुणवत्तायुक्त मोबाईल फोन उपलब्ध करवाया जाए। जिस भी विभाग का कार्य हम से लिया जाना अपेक्षित हो उस विभाग द्वारा हमें प्रोत्साहन राशि/पारिश्रमिक आदि के स्थान पर एक निश्चित सम्मानजनक मानदेय दिया जाए।


