- बाहर का दूषित और तला- भुना भोजन अनेक गंभीर बीमारियों का मूल कारण बन चुका।
- मनुष्य को संयमित जीवन अपनाना,अनैतिक कार्यों से दूर रहना चाहिए।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के चल रहे सात दिवसीय योग शिविर के दूसरे दिन योग गुरू स्वामी कर्मवीर महाराज ने कहा कि जीवनशैली में योग, नैतिकता और शुद्ध आहार का बहुत बडा महत्व हैं। बाहर का दूषित और तला-भुना भोजन अनेक गंभीर बीमारियों का मूल कारण बन चुका है। बाहर का भोजन लीवर, किडनी, पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देता है।
स्वास्थ्य के लिए आहार जितना आवश्यक है, उतना ही महत्वपूर्ण है चित्त की शुद्धता। नैतिक आचरण, सौम्य व्यवहार और आत्मचिंतन के द्वारा ही जीवन में स्थायित्व और संतुलन आता है। मनुष्य को हमेशा संयमित जीवन अपनाना चाहिए तथा अनैतिक कार्यों से दूर रहना चाहिए।
स्वामी कर्मवीर ने यह भी बताया कि खाना पकाने की प्रक्रिया में लंबे समय तक खड़े रहना यदि गलत मुद्रा में किया जाए, तो इससे वैरीकोज वेन्स जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसीलिए महिलाओं को बैठकर ही खाना बनाना चाहिए। इसलिए दिनचर्या में संतुलन, योग और सही आहार को शामिल करना अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी जी ने योग के व्यावहारिक पहलुओं की चर्चा करते हुए अनेक विशिष्ट आसनों एवं क्रियाओं का अभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि महायोग क्रिया के अंतर्गत किए जाने वाले विशेष आसनों में कपोत और उज्जायी प्राणायाम (थायरायड ग्रंथि के लिए उपयोगी), पैरों की बारह जिरो मुद्राएँ (घुटनों और टखनों की शक्ति के लिए), पूर्ण बटरफ्लाई आसन, कमर के लिए विशेष आसन जैसे पशु विश्रामासन, मंडूक आसन, अर्धचंद्रासन, विमानासन, शलभासन, भुजंगासन, नौकासन, जानुशीर्षासन, अर्धहलासन और पवनमुक्तासन, साथ ही उन्होंने सूर्य नमस्कार, नौली, अग्निसार क्रिया, ताड़ासन, और हनुमानासन भी सिखाए। अंत में सूर्य नमस्कार का अभ्यास किया तथा स्वामी जी ने लोगों को जिज्ञासाओं का भी समाधान किया तथा स्वास्थ्य सबंधी प्रश्नों का उत्तर देते हुए उसका समाधान व आयुर्वेद में उपचार भी बताया। इसके पश्चात नाक में दवाई भी डाली गई जिसे लोगों ने काफी प्रभावी बताया।