यूपी उपचुनाव में बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल !

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– लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सीएम योगी ने संभाली कमान,

– सपा भी लोकसभा जीत के परिणाम को रखना चाहती है बरकार।


अनुज मित्तल

मेरठ। लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा था। लोकसभा की 80 सीटों में 70 से ऊपर सीटों के जीतने का दावा करने वाली भाजपा को मात्र 33 सीटें मिली, जबकि पिछले चुनाव में मात्र तीन सीटों पर रहने वाली समाजवादी पार्टी 37 सीटें जीतकर भाजपा से आगे निकल गई। ऐसे में अब यूपी में विधानसभा का उपचुनाव भाजपा के लिए जहां प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, वहीं सपा के लिए भी यूपी में 10 सीटों पर होने वाला उपचुनाव बहुत मायने रखता है। अखिलेश यादव और उनकी पार्टी यह साबित करना चाहते हैं कि लोकसभा चुनावों 37 सीटें जीतना उनके लिए कोई तुक्का नहीं था। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस, बसपा और आसपा की मौजूदगी दोनों ही पार्टियों के लिए परेशानी जरूर खड़ी करेगी।

यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से पांच सीटें सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी समाजवादी पार्टी के पास थी। इसके अलावा गाजियाबाद, मझवां, फूलपुर, और खैर भारतीय जनता पार्टी के पास थी। इनमें से मीरापुर सीट वर्तमान में एनडीए की सहयोगी आरएलडी के पास थी। लेकिन अब हालात बदले हुए नजर आ रहे हैं। क्योंकि भाजपा को लोकसभा चुनाव में इनमें से गाजियाबाद सीट को छोड़कर बाकी पर हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इन विधानसभाओं को अब दोबारा से जीतना भाजपा के लिए बहुत कठिनाई भरा होगा।

वहीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बसपा ने मिल्कीपुर से राम गोपाल कोरी और मीरापुर से शाह नजर को प्रत्याशी बनाया है। यूपी में होने वाले उपचुनाव को लेकर बसपा और आजाद समाज पार्टी के बीच काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। जहां बसपा ने लंबे समय बाद उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

इसके अलावा समाजवादी पार्टी ने भी मिल्कीपुर विधानसभा सीट से निवर्तमान विधायक और वर्तमान सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का नाम लगभग तय कर दिया है। इसके अलावा अन्य सीटों पर भी नाम लगभग तय हो गए हैं, सिर्फ औपचारिक घोषणा बाकी है। इस घोषणा में कांग्रेस गठबंधन का मामला फंसा हुआ है। उसके क्लीयर होते ही प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे।

योगी के लिए सबसे अहम है उपचुनाव

लोकसभा में मिली हार के बाद यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी ही पार्टी में भारी आलोचना झेलनी पड़ रही है। ऐसे में यदि उपचुनाव में भी भाजपा अपनी निवर्तमान सीटें बचाने में कामयाब नहीं हो पाती है, तो योगी के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो सकता है। ऐसे में यह उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे ज्यादा अहम है। क्योंकि इस उपचुनाव को हर कोई 2027 के चुनाव के ट्रायल के रूप में देखकर चल रहा है।

भाजपा को छोड़ बाकी ने तय करने शुरू किए प्रत्याशी

उपचुनाव को लेकर भाजपा संगठन लखनऊ से लेकर विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय है। लेकिन अभी तक प्रत्याशी तय नहीं किए हैं। वहीं सपा, बसपा और आसपा ने प्रत्याशी तय करने शुरू कर दिए हैं। चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आसपा ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से जाहिद हसन तो गाजियाबाद सदर सीट से सतपाल चौधरी और मिजार्पुर की मझवां सीट से धीरज मौर्य को मैदान में उतारा है। पार्टी ने कहा है कि वह जल्द ही अन्य सात सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा करेगी।

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