Tuesday, June 17, 2025
Homeउत्तर प्रदेशMeerut'हैंडपंप' के पानी से 'कमल' खिलाने की कवायद

‘हैंडपंप’ के पानी से ‘कमल’ खिलाने की कवायद

– आईएनडीआईए छोड़ एनडीए के साथ जा सकते हैं जयंत
– भाजपा ने रालोद को चार सीटें देने पर जता दी है सहमति
– जयंत भाजपा के साथ आए तो केंद्र में मंत्री बनना तय, यूपी में भी मिलेगी हिस्सेदारी


अनुज मित्तल

मेरठ। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने का समय ज्यों-ज्यों निकट आ रहा है। वैसे-वैसे ही राजनीतिक उठापटक भी शुरू हो चुकी है। पूर्व में बने गठबंधन टूट रहे हैं और नये बनने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा ही एक गठबंधन यूपी में टूटने और बनने की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। भाजपा ने रालोद पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं और अपने भविष्य को देखते हुए रालोद नेतृत्व भी इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।

यूपी में इस वक्त भी भाजपा फ्रंट फुट पर है, यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन भाजपा चाहती है कि वह समाजवादी पार्टी को पूरी तरह लोकसभा चुनाव से बाहर का रास्ता दिखा दे। इसके लिए उसके लिए सबसे सॉफ्ट टॉरगेट रालोद है। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद का बेहतर जनाधार है। इसमें भी जाट वोट बैंक उसके साथ ज्यादा है। भाजपा नहीं चाहती कि गैर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो, इसलिए उसने रालोद को अपने साथ मिलाने की मुहिम चला रखी है।

सूत्रों की मानें तो पिछले कई माह से इसके लिए प्रयास हो रहे थे, लेकिन रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी तब नहीं मान रहे थे। लेकिन अब सीटों के बंटवारे पर वह सपा के साथ असहज महसूस कर रहे हैं। सपा ने जो खेल विधानसभा में रालोद के साथ खेला था, वही लोकसभा में खेलना चाहती है। तीन सीटों पर सपा अपने प्रत्याशी और चुनाव चिन्ह् रालोद का देकर उस सीट को रालोद के खाते में जोड़ना चाहती है। लेकिन इसके लिए जयंत के सिपाहसालार तैयार नहीं है।

सपा की रणनीति पर अगर गौर करें तो वह चार सीट ही रालोद को दे रही है। वहीं भाजपा भी रालोद को सीधे तौर पर चार सीट बागपत, कैराना, अमरोहा और मथुरा देने को तैयार है। जिसे लेकर अब रालोद नेतृत्व नफा नुकसान पर मंथन कर रहा है।

ये है भाजपा के साथ आने के फायदे

रालोद सूत्रों की अगर मानें तो भाजपा और रालोद का साथ लोकसभा चुनाव में ही नहीं होगा, बल्कि यूपी में भी साथ आने की बात हो रही है। ऐसे में जहां लोकसभा चुनाव में जीत के बाद जयंत चौधरी का केंद्र सरकार में मंत्री बनना तय हो जाएगा। वहीं यूपी में भी रालोद सरकार के भीतर कुछ हिस्सेदारी मिल जाएगी, मतलब उसके भी दो से तीन मंत्री बन सकते हैं।

सपा के साथ आने पर विपक्ष ही होगा नसीब

रालोद यदि सपा के साथ गठबंधन में बना रहता है तो यह भी गारंटी नहीं है कि उसे सभी सीटों पर जीत हासिल हो। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद को एक भी सीट नहीं मिली थी। तब तो सपा के साथ ही बसपा का भी साथ था। ऐसे में सपा के साथ रहने पर सिर्फ विपक्ष में ही बैठने को मिलेगा। जबकि भाजपा का साथ लगभग जीत की गारंटी के साथ केंद्र और प्रदेश सरकार में भागीदारी भी तय होगी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Recent Comments