लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी 9 अक्टूबर को लखनऊ में अपने संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर मेगा रैली का आयोजन कर रही है। रैली की तारीख ज्यों ज्यों नजदीक आ रही है समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेताओं की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है। केवल कांग्रेस और सपा ही नहीं,सांसद चंद्रशेखर की पार्टी भीम आॅर्मी भी इस रैली की तोड़ निकालने में लग गई है। पर सवाल यह है कि जिस पार्टी को उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दल खत्म मान कर चल रहे थे, उस पार्टी की एक रैली को लेकर वही दल अचानक इस तरह असहज क्यों हो गए हैं?
चार साल के अंतराल के बाद मायावती यह रैली कांशीराम स्मारक स्थल पर कर रहीं हैं। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता हफ़्तों से इस रैली की तैयारी में जुटे हुए हैं। खासकर दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ी जातियों से जुड़ी आबादी को लखनऊ आने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
पार्टी इसे अपनी ताकत का प्रदर्शन बताकर 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की जनता और अपने विरोधी दलों के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहती है। पार्टी का प्रदर्शन पिछले कई चुनावों में बहुत बहुत खराब रहा है। बल्कि यह कहना बेहतर होगा कि पार्टी अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. पार्टी चाहती है कि 2027 चुनावों में उतरने से पहले कार्यकर्ता को इस तरह का जोश दिलाया जा सके कि सत्ता उनसे दूर नहीं है। जाहिर है कि प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के लिए यह सतर्क होने का समय है।


