मां मातंगी आदि सरस्वती है,जिस पर मां मातंगी की कृपा होती है उसे स्वत: ही सम्पूर्ण वेदों, पुरानो, उपनिषदों आदि का ज्ञान हो जाता है ,उसकी वाणी में दिव्यता आ जाती है। फिर साधक को मंत्र एवं साधना याद करने की जरुरत नहीं रहती ,उसके मुख से स्वत: ही धाराप्रवाह मंत्र उच्चारण होने लगता है। साधक की ख्याति संपूर्ण ब्रह्माण्ड में फैल जाती है ।कोई भी उससे शास्त्रार्थ में विजयी नहीं हो सकता,वह जहाँ भी जाता है विजय प्राप्त करता ही है। मातंगी साधना से वाक सिद्धि की प्राप्ति होते है, प्रकृति साधक से सामने हाँथ जोड़े खडी रहती है, साधक जो बोलता है वो सत्य होता ही है ।