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Thursday, December 25, 2025
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सादगी और एक्टिंग ने वहीदा को दिलाई लोकप्रियता

* सीआईडी की वैंप से शुरुआत, * दो फिल्म फेयर अवार्ड, नेशनल अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार, * फिल्मों में कभी अश्लीलता का समर्थन नहीं किया

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मौके की नजाकत-

Editor Gyan Prakash
ज्ञान प्रकाश, संपादक. शारदा न्यूज़।

हिंदी फिल्मों की महान अभिनेत्रियों में शुमार वहीदा रहमान को दादा साहब फाल्के पुरस्कार काफी पहले मिल जाना चाहिए था। आज जिस तरह से घोषणा की गई उससे वहीदा रहमान के प्रशंसकों को जरूर खुशी होगी। 1956 में सीआईडी में वैंप का किरदार निभाने वाली दुबली पतली सांवली सी वहीदा ने दर्जनों सुपर हिट फिल्में दी और अभिनव का लोहा मनवा दिया। वहीदा ने हर वो पुरस्कार जीता जिसके सपने हर कोई कलाकार देखता है।

     दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश की वहीदा रहमान ने 1956 में गुरुदत्त की फिल्म सीआईडी से शुरुआत की थी। राज खोसला निर्देशित इस फिल्म में जब वहीदा रहमान से वैंप के किरदार के लिए कुछ खास कपड़े पहनने के लिए कहा तो साफ मना कर दिया था।वहीदा रहमान ने अपने लटके झटके और एक्टिंग से यादगार अभिनय कर लोगो का दिल जीत लिया था। इसके बाद वहीदा रहमान ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और गुरुदत्त के साथ यादगार फिल्में प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, साहब बीबी और गुलाम जैसी कालजई फिल्मे दी।

      वहीदा हिंदी फिल्मों की उन चंद हीरोइनों में है जिन्होंने अश्लीलता और अंग प्रदर्शन का समर्थन नहीं किया। वहीदा की खूबसूरती और अभिनय की मिसाल लोगो को नील कमल,कोहरा, बीस साल बाद, गाइड, तीसरी कसम और खामोशी में देखने को मिला। वहीदा रहमान जितनी अच्छी एक्ट्रेस थी उतनी अच्छी डांसर भी। गाइड इसका जीता जागता उदाहरण है। पत्थर के सनम हो या प्रेम पुजारी, काला बाजार में वहीदा ने अपने अभिनय का लोहा मनवा दिया था।

अनुराग ठाकुर ने वहीदा रहमान के नाम की घोषणा करते हुए कहा, “उन्हें फिल्म रेशमा और शेरा के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला है। पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित वहीदा जी ने एक भारतीय नारी के समर्पण, प्रतिबद्धता और ताकत का उदाहरण दिया है, जो अपनी कड़ी मेहनत से प्रोफेशनल लाइफ में सफलता हासिल करने में सक्षम है।”

53वें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के नाम का ऐलान खुद केंद्रीय और सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने किया है। पिछले साल यह सम्मान आशा पारेख को मिला था। और अब ये वहीदा रहमान की झोली में गया है।

         निजी जीवन         

वहीदा रहमान का जन्म 3 फरवरी 1938 को परंपरागत मुस्लिम परिवार में हुआ था। बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना संजो रखा था वहीदा रहमान ने पर किस्मत को ये मंजूर न था, फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से वह यथोचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकी। भरतनाट्यम में प्रवीण वहीदा रहमान को अपने अभिभावकों से अभिनय की प्रेरणा मिली। सन् 1955 में उन्हें एक के बाद एक करके दो तेलुगू फ़िल्मों में काम करने अवसर मिल गया।

         1974 में उन्हें सह-अभिनेता शशि रेखी ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, और करियर के पीक पॉइंट पर उन्होंने शादी रचा ली। उनका वैवाहिक जीवन काफी सुखमय रहा, लेकिन वर्ष 2000 में पति शशि रेखी की मौत ने उन्हें एकबार अकेला कर दिया। इसके बाद वो दोबारा फिल्मों में आई और सफ़ल रहीं।

 

 

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