– हाइकोर्ट का निर्देश, एक वर्ष में ट्रायल पूरा करने, गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के आदेश।
संभल। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशपाल की पीठ ने जिला अदालतों को स्पीच-टू-टेक्स्ट एआई ट्रांसक्रिप्शन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग कर बयान दर्ज करने का आदेश दिया है। यह निर्देश संभल हिंसा के एक आरोपी मोहम्मद अली को जमानत देते हुए दिए गए।
कोर्ट ने संभल के जिला जज को मोहम्मद अली के मामले को विशेष अदालत में स्थानांतरित कर एक वर्ष के भीतर ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षक को भी गवाहों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। यह घटना 24 नवंबर 2024 को हुई थी, जब कोर्ट अमीन और पुलिस टीम संभल की शाही जामा मस्जिद बनाम श्रीहरिहर मंदिर विवाद के सर्वे के लिए पहुंची थी। आरोप है कि लगभग 700-800 लोगों की भीड़ ने टीम पर पथराव और फायरिंग की थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
पुलिस ने इस मामले में 44 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जबकि मूल एफआईआर अज्ञात भीड़ के खिलाफ दर्ज की गई थी। इन 44 आरोपियों में से 37 को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसी समानता के सिद्धांत के आधार पर, न्यायालय ने मोहम्मद अली की जमानत याचिका भी स्वीकार कर ली। मोहम्मद अली 4 दिसंबर 2024 से जेल में बंद था। न्यायालय ने टिप्पणी की कि अज्ञात भीड़ में से केवल 44 लोगों पर आरोपपत्र दाखिल किया जाना यह दशार्ता है कि कई निर्दोष व्यक्ति भी इस मामले में फंस सकते हैं। इसलिए, समानता के सिद्धांत के आधार पर जमानत देना न्यायसंगत है।
इस मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 40 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी, जबकि 2750 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई। 18 जून को एसआईटी ने लगभग 1128 पन्नों में सांसद बर्क सहित 23 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। हालांकि, सपा विधायक पुत्र सुहैल इकबाल का नाम चार्जशीट में शामिल नहीं है।
आपको बता दें कि बीती 19 नवंबर को हिंदू पक्ष की ओर से सिविल सीनियर डिवीजन चंदौसी कोर्ट में दावा किया गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद श्रीहरिहर मंदिर है। 19 नवंबर की शाम को मस्जिद का पहले चरण का सर्वे हुआ और दूसरे चरण का सर्वे 24 नवंबर को हुआ। मस्जिद में चल रहे सर्वे के दौरान हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए लोगों ने पुलिस पर पथराव-फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें चार मौतें हो गई, वहीं उग्र भीड़ ने गाड़ियों को फूंक दिया। तीन हत्यारोपी, तीन महिलाओं एवं इंतजामिया मस्जिद सदर जफर अली एडवोकेट सहित कुल 105 अभियुक्तों को जेल भेजा है।
आपको बता दें कि जफर अली को कोतवाली संभल में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 335/24 में जेल भेजा था, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क एवं सपा विधायक पुत्र सुहैल इकबाल नामजद है। बीती 23 मार्च को जफर अली से रकळ ने 4 घंटे की पूछताछ की और पुलिस ने गिरफ्तारी करने के बाद कोर्ट में पेश किया जहां से जेल भेज दिया गया। 24 जुलाई को हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति समीर जैन ने जमानत मंजूर कर ली और 31 अगस्त को एमपी-एमएलए कोर्ट ने विवेचना के दौरान बढ़ाई गई दो धाराओं में जमानत दी। 131 दिन के बाद बीती 01 अगस्त 2025 को मुरादाबाद की जेल से उनकी रिहाई हो गई। जफर अली और सांसद बर्क के विरुद्ध निचली अदालत में चल रही कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाई है।



