- डिजिटल अरेस्ट हालत में साइबर थाने पहुंचा पीड़ित
- रिटायर्ड बैंक डीजीएम को चार घंटे तक रखा डिजिटल अरेस्ट,
- पुलिस ने शुरू की जांच।
नोएडा। खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच से बताकर जांच के नाम पर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का खेल बदस्तूर जारी है। ऐसी ही एक घटना बुधवार को सेक्टर-119 स्थित एक सोसाइटी निवासी रिटायर्ड बैंक डीजीएम के साथ होते-होते बच गई। साइबर अपराधियों ने फोन कर अपना परिचय सीबीआई टीम के तौर पर दिया। फिर बताया कि मुंबई में टेलीकॉम एडवरटाइजिंग फ्रॉड में कई एफआईआर में आपका नाम है। करोड़ों के लेनदेन और गबन के लिए आपके आधार-पैन कार्ड का उपयोग कर खाता खुलवाए गए हैं। रिटायर्ड डीजीएम ने ऐसी संलिप्तता से इंकार किया। इसके बाद जांच कर केस से निकालने के बहाने साइबर जालसाजों ने सुबह करीब 11 बजे डिजिटल अरेस्ट कर लिया।
पत्नी से दूर करवाकर वीडियो कॉल पर ही सभी दस्तावेज जांच के बहाने जालसाज देखने लगे। रिटायर्ड डीजीएम से बैंक खातों का ब्यौरा व इंटरनेट बैंकिंग के ब्यौरे का वेरिफिकेशन कराने के लिए कहा गया। पीड़ित ने कहा कि वह एक लेखा सेवा कंपनी के साथ काम करता है उसका दफ्तर सेक्टर-6 में है जहां लैपटॉप में पूरा ब्यौरा मौजूद है। तत्काल जांच का खौफ दिखाकर अपनी निगरानी में जालसाजों ने उसे दफ्तर जाने को कहा। पीड़ित भी डर गया और कार से दफ्तर के लिए निकला। जालसाज लगातार उसकी लोकेशन भी देख रहे थे। सेक्टर-34 मेट्रो स्टेशन के पास पीड़ित जब पहुंचा तो कॉल पर ही उसे जालसाजों ने धमकी दी कि तुम्हारे पीछे दो सीबीआई के इंस्पेक्टर मौजूद हैं। होशियारी की तो कुछ भी हो सकता है।
इससे पीड़ित और डर गया। रास्ते से उन्हें सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाना दिखा। करीब 3 बजे कार किनारे लगा बहाना बनाकर वह थाने पहुंच गए। हड़बड़ाहट देखकर थाना प्रभारी विजय कुमार ने कारण पूछा तो अपनी बेगुनाही की दुहाई दी। थाना प्रभारी ने बैठाकर पूरा माजरा जाना। पीड़ित ने बताया कि मोबाइल पर सीबीआई अधिकारी उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं। वह मोबाइल को डर के मारे कार में छोड़कर आए हैं। थाना प्रभारी ने मोबाइल मंगवाया और बात करने के लिए कहा।
पुलिस के सामने भी साइबर अपराधी खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए केस में फंसाने की धमकी और जांच में सहयोग करने पर बचाने का आश्वासन देते रहे। आखिर में थाना प्रभारी ने पीड़ित से कहा कि यह बता दो कि मैं असली पुलिस के पास थाने आ गया हूं। यह बताने पर साइबर जालसाज कुछ हिचके। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपना परिचय बताते हुए धमकी दी कि पकड़े जाआगे, ठगी छोड़ दो। फिर साइबर अपराधियों ने सभी तरह से संपर्क तोड़ दिया।
साइबर क्राइम थाना पुलिस ने पीड़ित के मोबाइल का परीक्षण करवाया। जालसाजों की तरफ से डाउनलोड करवाया गया रिमोट ऐप भी हटवाया। पीड़ित हरीश गुप्ता ने बताया कि वह पूरे घटनाक्रम से काफी डर गए थे। बताया कि वह बैंक आॅफ महाराष्ट्र से डीजीएम के पद से रिटायर हुए हैं। सेक्टर-6 में एक कंपनी के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय कुमार का आभार जताया।
डिजिटल अरेस्ट के 4 घंटे किसी कैद से कम नहीं रहे : हरीश गुप्ता ने बताया कि जालसाजों ने जांच के नाम पर पहले आधार कार्ड देखा। फिर उनके ही नाम का दूसरे आधार कार्ड की फोटोकॉपी भेज दी। एक लिंक भेज वीडियो कॉल किया। घर में कौन-कौन है पूछा और कहा कि पत्नी से दूर हो जाओ। बीच-बीच में जालसाज वीडियो कैमरा और अपनी आवाज भी बंद कर दे रहे थे। फिर यह बोलते थे कि जांच जारी है।
साइबर क्राइम थाने पहुंचने के बाद हरीश गुप्ता का साइबर जालसाजों से जो संवाद हुआ उसमें उन्होंने जालसाजों से कहा कि उनके खिलाफ जो एफआईआर हुई हैं उसकी कॉपी भेज दीजिए। इस पर जालसाज भड़क गए और कहने लगे अभी तुम्हारे घर पर एफआईआर की कॉपी लेकर पुलिस आ रही है। खुद को सीबीआई का एसपी बता रहे एक जालसाज ने कहा कि हम आपको बचाने की कोशिश में जांच में कर रहे हैं और आप मेरी टीम पर संदेह कर रहे हैं।