- 27 मई को हापुड़ में किया था 8 करोड़ के विकास कार्य का शिलान्यास।
हापुड़। मेरठ- हापुड़ लोकसभा सीट से भाजपा सांसद अरुण गोविल एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह कोई बयान नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर एक ‘गुमशुदगी’ का पोस्ट किया गया है। जिसने जिले में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। वहीं सांसद अरुण गोविल मेरठ में रहते है। एक स्थानीय यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तंज भरे लहजे में पोस्ट किया। हापुड़ विधानसभा से सांसद अरुण गोविल पिछले कई दिनों से गायब हैं, जनता उन्हें ढूंढ रही है। यह पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गया। स्थानीय लोग भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने लगे।
सोशल मीडिया पर एक ‘गुमशुदगी’ का पोस्ट वायरल –
गौरतलब है कि रामायण धारावाहिक में भगवान राम की भूमिका निभाकर चर्चित हुए अरुण गोविल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ-हापुड़ सीट से बीजेपी टिकट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि चुनाव के बाद से वे अक्सर मुंबई में देखे गए। जबकि हापुड़ और मेरठ में उनकी उपस्थिति बहुत कम रही।
इस मामले पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि सांसद अब जनता से कट चुके हैं। वे सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रह गए हैं। कोई जनसुनवाई, न प्रवास, जिससे आम जनता खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। गुमशुदा पोस्ट ने न केवल सोशल मीडिया पर हलचल मचाई है। बल्कि इसने जनता के मन की बात भी उजागर की है। अब लोग सवाल कर रहे हैं।
आठ करोड़ के विकास कार्यों का शिलान्यास: 27 मई को हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण द्वारा समग्र विकास योजना के अंतर्गत गढ़ रोड पर रेलवे क्रॉसिंग से बाईपास तक दाईं ओर फउउ नाले व पुलिया निर्माण कार्य का शिलान्यास सांसद अरुण गोविल द्वारा किया गया। यह कार्य उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वित्त पोषित है। वर्षों से जूझ रहे जलभराव की इस समस्या से क्षेत्रवासियों को जल्द इससे राहत मिलेगी। यातायात भी सुगम होगा। ये निर्माण कार्य 8 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।
फिलहाल इस पूरे मामले पर सांसद अरुण गोविल की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि सोशल मीडिया पर बढ़ती नाराजगी के बीच उन्हें अब जनता के बीच आकर जवाब देना पड़ सकता है।
2024 में सांसद बने थे अरुण गोविल: दरअसल, रामायण धारावाहिक में भगवान राम की भूमिका से प्रसिद्धि पाने वाले अरुण गोविल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मेरठ-हापुड़ सीट से जीतकर संसद पहुंचे। चुनाव के बाद से वे अधिकतर हापुड़ विधानसभा से गायब देखे जा रहे हैं। इससे स्थानीय कार्यकतार्ओं और जनता में असंतोष बढ़ रहा है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया है।