शारदा रिपोर्टर मेरठ। फाईनेन्शियल बिल-2025 में पेंशनरी नियमों के बदलाव व अन्य तरीको से देश के करोड़ों पेंशनरों के हितों के मामले को लेकर सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पैंशनर्स एसोसिऐशन उत्तर प्रदेश के दर्जनों सदस्य मंगलवार को कलक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी कार्यालय में सौंपा।
पेंशनर्स ने बताया कि इसी वर्ष के प्रारम्भ में आठवें वेतन आयोग की घोषणा से देश के कर्मचारियों और पेंशनरों में एक सन्देश गया कि सरकार अपने कर्मचारियों एवं पेंशनरों के वेतन एवं पेंशन का पुनरीक्षण 1 जनवरी, 2026 से करना चाहती है, जिससे एक खुशी का वातावरण उत्पन्त हुआ। परन्तु जैसे जैसे समय बीतता गया, वैसे वैसे निराशा भी होने लगी। क्योंकि अभी तक आठवें वेतन आयोग के गठन की कार्यवाही नहीं की गयी है।
पेंशनर्स ने कहा कि इसी बीच फाईनेन्शियल बिल 2025 एक कानून के रूप में सामने आ गया। इस बिल में पूर्व पेंशनरी नियमों में बदलाव करके पेंशनरों के समूह में भेद पैदा करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि, वर्तमान में 1 जनवरी, 2025 से मिलने वाले 2 प्रतिशत मंहगाई का शासनादेश भारत सरकार द्वारा जारी कर दिया गया। लेकिन लगभग एक सप्ताह से अधिक हो गया, किन्तु आज तक पेंशनरों को मिलने वाली पेंशन राहत का शासनादेश नहीं जारी हुआ है।
यह कृत्य देश और प्रदेश के कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनरों को यह सन्देश दे रहा है कि, भविष्य में भारत सरकार पेंशनरों की महंगाई राहत को भी महंगाई भत्ते से डी लिंक करना चाहती है। अगर यह बात सही है तो एनपीएस की भांति ओपीएस में भी एक निश्चित धनराशि ताउम्र मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं यदि वेतन आयोग की रिपार्ट के अनुसार कर्मचारियों के वेतन पुनरीक्षण की तिथि से ही पेंशन पुनरीक्षण नहीं हुआ तो भविष्य में मंहगाई राहत मिलने में अत्यधिक कठिनाई होगी।
उन्होंने फाईनेन्शियल बिल 2025 के माध्यम से पेंशनरी नियमों में किये गये बदलाव को तत्काल निरस्त कर सेवानिवृत्त होने की तिथि के आधार पर पेंशनर समूह में भेद न पैदा किया जाने, केन्द्रीय आंठवे वेतन आयोग के गठन की कार्यवाही पूर्ण कर उसके नियम एंव शर्तों में पेंशन के पुनरीक्षण का विषय भी संदर्भित किया जाने आदि की मांग की।