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Tuesday, December 23, 2025
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मंगलवार को फिर टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया

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कराहते रुपये को नहीं मिली राहत।

मुंबई: विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि निवेशक फिलहाल भारत-अमेरिका ट्रेड डील से जुड़े किसी ठोस संकेत का इंतजार कर रहे हैं, जिसकी वजह से घरेलू मुद्रा पर दबाव बना हुआ है। भारतीय रुपये में कमजोरी का सिलसिला लगातार बना हुआ है और मंगलवार को यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक बार फिर नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।

 

 

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता बनी रहने और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के चलते शुरुआती कारोबार में रुपया 36 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 91 के स्तर को पार कर गया। रुपया पिछले 10 कारोबारी सत्र में डॉलर के मुकाबले 90 से गिरकर 91 पर आ गया। यह पिछले पांच सत्र में ही डॉलर के मुकाबले एक प्रतिशत लुढ़का है।

विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि निवेशक फिलहाल भारत-अमेरिका ट्रेड डील से जुड़े किसी ठोस संकेत का इंतजार कर रहे हैं, जिसकी वजह से घरेलू मुद्रा पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, डॉलर में कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये की गिरावट को और गहराने से कुछ हद तक रोके रखा।

रुपये पर भारी दबाव

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 90.87 पर खुला, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले नौ पैसे की गिरावट को दर्शाता है।कारोबार के दौरान यह 90.77 से 90.87 प्रति डॉलर के दायरे में उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार करता रहा। इससे एक दिन पहले सोमवार को भी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.78 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ था, जिससे साफ है कि घरेलू मुद्रा पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।

इस बीच, छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 98.27 पर रहा, जिससे रुपये को कुछ सीमित सहारा मिला। वहीं। घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 363.92 अंक टूटकर 84,849.44 अंक पर आ गया, जबकि एनएसई निफ्टी 106.65 अंक फिसलकर 25,920.65 के स्तर पर पहुंच गया। शेयर बाजार की इस कमजोरी ने भी रुपये की चाल पर नकारात्मक असर डाला।

भाग रहे विदेशी निवेशक

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जरूर एक राहत भरा संकेत रही। वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड 0.61 प्रतिशत टूटकर 60.19 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जिससे आयात बिल पर दबाव कुछ कम होने की उम्मीद बनी है। इसके बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली रुपये के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को एफआईआई ने शुद्ध रूप से 1,468.32 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर स्पष्टता नहीं आती और विदेशी पूंजी का बहिर्गमन नहीं रुकता, तब तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है।

 

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