Home Meerut अनुसूचित जाति के लोगों को दिए जा रहे ओबीसी के प्रमाण-पत्र

अनुसूचित जाति के लोगों को दिए जा रहे ओबीसी के प्रमाण-पत्र

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  • ऋषिवादी कर्म शील यंग परमार्थी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चौ. चरण सिंह पार्क में धरना देते हुए किया प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। विभिन्न जातियों के प्रमाण पत्र बनवाने की मांग को लेकर ऋषिवादी कर्म शील यंग परमार्थी पार्टी के दर्जनों सदस्यों ने शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह पार्क में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने भारत सरकार को संबोधित ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपा।

राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक नरेश कुमार कश्यप ने बताया कि अनुसूचित जाति की लिस्ट में बेलदार, ‘खैरवार, तुरैहा, महार, मझवार मूल जातियों सन 1950 से ही अंकित है और सन 1992 तक उक्त सभी मूल जातियों को अनुसूचित जातियों के प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश में सरकार द्वारा जारी किये जाते रहे हैं। लेकिन सन 1992 में मण्डल आयोग की सिफारिश लागू हो जाने के बाद से उक्त मूल जातियों को अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र जारी करने की रफ्तार बहुत धीमी कर दी गई थी और इन मूल जातियों के समानार्थी या सामान्य नाम को पिछडे वर्ग की सूची के आधार पर विरोध के बावजूद भी पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र जारी करके जबरदस्ती थमाये जाने लगे।

उन्होंने कहा कि सन 1891 की जनगणना के अनुसार जातियों की सूची में धीवर और कहार, कश्यप, निषाद नाम की कोई जाति नहीं थी जो कि मण्डल आयोग लागू होने के बाद ही अस्तित्व में आई है। उत्तर प्रदेश के अन्दर सरकार द्वारा मूल जाति चमार, धुसिया, झुसिया या जाटव को उनकी समानार्थी या सामान्य नाम की जातियों जिनकी सूची संलग्न है सभी को उनकी मूल जाति का प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति का ही जारी किया जा रहा है लेकिन फिशरमैन समूह को उनकी मूल जाति प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति के रूप में जारी न करके उन्हें मूल सवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। जिस कारण फिशरमैन समूह के लोंगों में इस दोहरे व्यवहार के कारण सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है।

जिसका कुप्रभाव सरकार को लोकसभा चुनाव 2024 में झेलना पड़ा है। जिस प्रकार से मूल जातियों का प्रमाण पत्र हमारे अन्य अनुसूचित जाति के भाईयों को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है,उसी प्रकार से हमारे फिशरमैन समुदाय को भी उनकी मूल जाति का प्रमाण पत्र अनुसूचित जाति प्रमाण के रूप में ही बना कर जारी किये जाने आदि की मांग की।

 

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