- 160 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रैक पर दौड़ी नमो भारत।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। कल ऐतिहासिक रविवार था, जब एक ही ट्रैक पर नमो भारत और मेरठ मेट्रो एकसाथ दौड़ती हुई नजर आई। जिसको देखते हुए कहा जा सकता है कि, भूल जाइए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का घंटों लंबा ट्रैफिक जाम और थकान भरा सफर। कल्पना कीजिए एक ऐसी यात्रा की, जहां आप वातानुकूलित कोच में बैठकर बाहर तेजी से गुजरते नजारों को देखते हुए, अपना पसंदीदा संगीत सुनते हैं और मात्र एक घंटे से भी कम समय में दिल्ली के दिल से मेरठ के छोर पर पहुंच जाते हैं। यह अब कोई कल्पना या सपना नहीं है। रविवार को इस भविष्य की पहली, और सबसे शक्तिशाली झलक देखने को मिली, जब नमो भारत ट्रेन ने इतिहास रचते हुए पहली बार पूरे 82 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर (मोदीपुरम से सराय काले खां) पर एक सफल ट्रायल रन पूरा किया। इस ऐतिहासिक पल में, ट्रेन ने यह दूरी लगभग 57 मिनट में तय करके यह साबित कर दिया कि दिल्ली-मेरठ क्षेत्र में परिवहन की क्रांति बस दस्तक दे रही है।
ट्रेन को उसकी अधिकतम परिचालन गति 160 किलोमीटर प्रति घंटे पर दौड़ाया गया, जो बिना किसी परेशानी के हासिल की गई। सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि हर स्टेशन पर रुकने का अनुकरण करने के बावजूद, ट्रेन ने समय-सारिणी का सटीक पालन करते हुए एक घंटे से भी कम समय में यात्रा पूरी की। इस दौरान नमो भारत संग मेट्रो का करिश्मा देखने को मिला। यह भारत के इंजीनियरिंग के लिए गर्व का क्षण था। एक ही समय पर एक ही ट्रैक पर हाई-स्पीड नमो भारत और स्थानीय मेरठ मेट्रो को एक साथ दौड़ाकर परखा गया और यह संयुक्त ट्रायल भी पूरी तरह सफल रहा।
इस पूरे आॅपरेशन को ईटीसीएस लेवल-थ्री हाइब्रिड सिग्नलिंग सिस्टम ने नियंत्रित किया। जो दुनिया में पहली बार इस कॉरिडोर पर इस्तेमाल हो रहा है। ट्रेन के रुकते ही प्लेटफॉर्म और ट्रेन के दरवाजों का एक साथ खुलना और बंद होना। यह ऐतिहासिक ट्रायल तो हो गया, लेकिन अब सवाल उठता है कि, आपके घर के पास का स्टेशन कितना तैयार है। खुशखबरी यह है कि शताब्दीनगर से मोदीपुरम तक कॉरिडोर पर काम अंतिम चरण में है।
मेरठ के दिल में बने भूमिगत स्टेशन मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल अब आकार ले चुके हैं। सिविल कार्य लगभग पूरा हो चुका है और अब फिनिशिंग का काम तेज गति से जारी है। चार मंजिला बेगमपुल स्टेशन, जो सबसे गहरा है, नमो भारत और मेट्रो दोनों के लिए एक शानदार इंटरचेंज बनेगा।
बेगमपुल के बाद एमईएस कॉलोनी, डोरली, मेरठ नॉर्थ और मोदीपुरम जैसे एलिवेटेड स्टेशनों पर भी काम लगभग पूरा है।
प्रवेश-निकास द्वार तैयार हैं और स्टेशनों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नेशनल हाईवे पर स्थित मेरठ नॉर्थ और मोदीपुरम स्टेशनों को हाईवे से जोड़ने के लिए फुट ओवरब्रिज भी लगभग तैयार हैं। पूरे 82 किलोमीटर के रूट पर ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइनें बिछ चुकी हैं, यानी पूरा कॉरिडोर ऊर्जा से लैस है।
सिर्फ रफ्तार नहीं, तकनीक का जादू है
यह ट्रायल सिर्फ एक ट्रेन को दौड़ाना नहीं था, बल्कि एक जटिल, अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय सिस्टम को परखना था, और इस कसौटी पर यह सिस्टम खरा उतरा।
कब शुरू होगा सपनों का यह सफर
हर मेरठ और दिल्लीवासी के मन में अब यही सवाल है। हालांकि, पूर्ण परिचालन का लक्ष्य जून 2025 रखा गया था, लेकिन किसी भी नए हिस्से को खोलने का अंतिम निर्णय केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ही लेता है। यह सफल ट्रायल उस निर्णय की प्रक्रिया को तेज करेगा। उम्मीद की जा रही है कि, बहुत जल्द, कम से कम मेरठ में शताब्दीनगर स्टेशन तक सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी, जिससे शहर के एक बड़े हिस्से को राहत मिलेगी। बता दें कि, यह सफल ट्रायल सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, यह उस वादे की पुष्टि है जो एनसीआरटीसी ने किया था। एक तेज, सुरक्षित और आरामदायक भविष्य की यात्रा का वादा। वह भविष्य अब दरवाजे पर है।