- घोषणा: 28 मार्च 2028 को लांच होगा अभियान।
एजेंसी, नई दिल्ली: भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने अंतरिक्ष में अपनी नई मंजिल तय कर ली है। इसरो ने शुक्र ग्रह के लिए एक महत्वाकांक्षी मिशन वीनस आॅर्बिटर मिशन की घोषणा की है। यह मिशन 28 मार्च, 2028 को लॉन्च होगा और पांच साल तक चलेगा। इस मिशन का लक्ष्य शुक्र ग्रह के वातावरण, सतह और सूर्य के साथ उसपर होने वाले प्रक्रियाओं का अध्ययन करना है।
इसरो के इस मिशन पर 1,236 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वीओएम में 19 पेलोड होंगे, जिनमें दो भारत और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से डेवलेप किए गए वैज्ञानिक उपकरण और एक अंतर्राष्ट्रीय पेलोड शामिल होगा। यह पेलोड एक्सपर्ट्स की समीक्षा के बाद ही शामिल किया गया है।
इसरो ने कहा कि मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्यों में शुक्र के वायुमंडल में धूल की जांच, हाई रिजॉल्यूशन में इसकी सतह की मैपिंग, शुक्र के पास सौर एक्स-रे स्पेक्ट्रम की स्टडी, ग्रह का एयर एनालिसिस और अन्य कई तरह की जांच शामिल है। इसके अलावा चंद्रयान-3 की तर्ज पर, यह मिशन इसरो के लिए टेक्नोलॉजी प्रदर्शन में सहायता करेगा, कठोर शुक्र ग्रह के वातावरण में एरोब्रेकिंग और थर्मल मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी का परीक्षण करेगा।
इसरो ने कहा, ह्यशुक्र पर अब तक अन्य देशों ने जो भी मिशन किए हैं, उनमें दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में या भूमध्यरेखा बेल्ट में कवरेज सीमित था। इसरो ने आगे कहा, ह्यइसलिए, हवाओं, तरंगों और रासायनिक प्रचुरता सहित कई घटनाओं की ग्लोबल मैपिंग मुश्किल है। ये मिशन शुक्र का एक समान कवरेज प्रदान करेगा, इस प्रकार भविष्य के मिशनों के लिए डेटाबेस तैयार होगा।
इसरो के मुताबिक स्पेस यान के 112 दिनों से ज्यादा समय में पृथ्वी के जुड़वां ग्रह तक पहुंचने की उम्मीद है और यह 19 जुलाई 2028 तक पृथ्वी पर वापस आ सकता है।इसरो ने खुलासा किया कि अंतरिक्ष यान को शुक्र ग्रह के चारों ओर स्थापित करने के लिए उसके विश्वसनीय लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (छश्ट-3) रॉकेट का उपयोग किया जाएगा। मिशन के तहत शुक्र की आॅर्बिट से स्टडी की जाएगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये प्रयोग पहली बार शुक्र ग्रह की सतह और वायुमंडल की जांच करने का एक शानदार अवसर प्रदान करेंगे।