ओयो होटलों की लगातार बढ़ती संख्या को लेकर उठ रहे सवाल।
आबादी के बीच पनप रहे इस होटल कारोबार को लेकर स्थानीय लोग परेशान।
जिस्म फरोशी के धंधे से जुड़े हैं अधिकांश ओयो होटल।
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। शहर के चारो ओर बाहरी कालोनियों में ही शहर के भीतर भी ओयो होटल की बाढ़ सी आ गई है। लोगों ने अपने घरों और दुकानों के ऊपर ही चार-पांच छोटे-छोटे कमरे बनाकर होटल शुरू कर दिए हैं। बिना मानकों और पंजीकरण के चल रहे ये ओयो होटल जिस्म फरोशी का अड्डा भी बनते जा रहे हैं।
अधिकांश ओयो होटल शहर में उन स्थानों पर खुले हैं, जहां प्रोफेशनल कॉलेज हैं। एनएच-58 सहित कंकरखेड़ा, मोदीपुरम, पल्लवपुरम, गंगानगर, शताब्दीनगर, परतापुर, शास्त्रीनगर, हापुड़ रोड़, गढ़ रोड आदि क्षेत्र में संचालित हैं। शहर में इस समय इनकी संख्या 200 से ज्यादा है।
नियमानुसार आयो होटल को सराय एक्ट के तहत पंजीकृत कराने के साथ ही अन्य कई विभागों की भी एनओसी लेनी होती है। लेकिन कोई भी इस मानक को पूरा नहीं कर रहा है।
सुबह होते ही आने लगते हैं जोड़े
अधिकांश ओयो होटल के बाहर सुबह 9बजे के बाद से ही वाहनों की पार्किंग शुरू हो जाती है। जिसमें अधिकांश संख्या युवक और युवतियों की होती है। मात्र कुछ घंटों के लिए पांच सौ से एक हजार रुपये में ये होटल संचालक बिना किसी पहचान पत्र के कमरा उपलब्ध करा देते हैं। जिससे इनकी आमदनी अच्छी चल रही है।
कई करा रहे खुलकर जिस्म फरोशी
एनएच-58 स्थित कई ओयो होटल संचालक तो खुलकर जिस्म फरोशी करा रहे हैं। आने वाले ग्राहक को ये एलबम या सीधे युवतियां दिखाकर रेट तय करते हैं और कमरा उपलब्ध कराते हैं।
स्थानीय पुलिस का है संरक्षण
इस पूरे गोरखधंधे में स्थानीय पुलिस का पूरा संरक्षण रहता है। क्योंकि इस अवैध कारोबार से होने वाली कमाई का एक हिस्सा स्थानीय पुलिस को भी जाता है।
होटल महंगा होने से ओयो की तरफ रुख
शहर में करीब पचास होटल हैं। लेकिन इन होटल में कमरा किराए पर लेने के लिए आईडी देने के साथ ही अन्य कई औपचारिकताएं पूरी करनी होती है। कई होटल तो संदिग्ध युवक युवतियों को कमरा तक देने से मना कर देते हैं। दूसरी सबसे अहम बात ये है कि इन होटलों में कमरा दो हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक में मिलता है। जबकि ओयो होटल में बिना किसी परेशानी के मात्र पांच सौ रुपये में कमरा मिल जाता है। इस लिए ओयो होटलों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।
छापामारी के बाद भी नहीं रूक रहा गोरखधंधा
पुलिस अधिकारियों के दबाव में छापामारी करती है, लेकिन यह सिर्फ औपचारिकता ही होती है। अधिकांश तो छापे की सूचना पहले ही लीक हो जाती है। जिसके कारण मौके से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिलता है।
गोपनीय रूप से बड़े स्तर पर हो कार्रवाई
शहर के समाजसेवियों का कहना है कि इस मामले में डीएम और एसएसपी को अपने स्तर से टीम गठित कर गोपनीय रूप से छापामार कार्रवाई करते हुए कुछ भी गलत पाए जाने पर तत्काल ऐसे प्रतिष्ठान को सील करते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।