- सेमीफाइनल में भारत को हराया,
- आईसीसी ने श्रीलंका को विजेता घोषित किया,
- श्रीलंका में जातीय संघर्ष का असर, ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज ने खेलने से किया मना।
1996 का वर्ल्ड कप क्रिकेट का आयोजन एक बार फिर एशिया में किया गया। इस बार भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने इसका आयोजन किया। श्रीलंका ने कोलकाता के इडेन गार्डन में सेमीफाइनल में भारत को हरा कर फाइनल में प्रवेश किया। गुस्साई भीड़ ने स्टेडियम में आगजनी कर तोड़फोड़ कर दी। अधूरे मैच में श्रीलंका को विजयी घोषित किया गया। फाइनल में श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया को सात विकेट से हरा कर खिताब जीत लिया।
ग्रुप ए से ऑस्ट्रेलिया, भारत, श्रीलंका और वेस्टइंडीज की टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंची थीं।ऑस्ट्रेलिया ने भी पांच में से तीन मैच जीते और भारत ने भी तीन। ग्रुप बी से दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड का मुकाबला श्रीलंका से हुआ, तो भारत का मुकाबला पाकिस्तान से। दक्षिण अफ्रीका की टीम भिड़ी वेस्टइंडीज से तो ऑस्ट्रेलिया के सामने थी न्यूजीलैंड की टीम।
कोलकाता के ईडन गार्डन में भारत और श्रीलंका के बीच हुआ सेमीफाइनल मैच काफी नाटकीय रहा।एक लाख 10 हजार से ज्यादा संख्या में मौजूद दर्शक भारत की तय मानी जा रही हार पचा नहीं पाए और हुडदंग पर उतर आए। श्रीलंका के 252 रनों के जवाब में भारत ने 120 रन पर अपने आठ विकेट गंवा दिए थे। हुड़दंग के कारण आईसीसी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया। हालांकि उनकी जीत तो तय ही थी।
दूसरे सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज का मैच हुआ। पहले खेलते हुए एक समय ऑस्ट्रेलिया ने सिर्फ 15 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे, लेकिन स्टुअर्ट लॉ और माइकल बेवन ने पारी संभाली और ऑस्ट्रेलिया 207 रन बनाने में कामयाब रहा। एक समय वेस्टइंडीज की जीत पक्की लग रही थी और 42वें ओवर में उसका स्कोर था दो विकेट पर 165 रन। लेकिन शेन वॉर्न ने चार विकेट लिए, कप्तान मार्क टेलर ने अच्छी रणनीति अपनाई और वेस्टइंडीज ने 37 रन पर अपने आठ विकेट गंवा दिए। कप्तान रिची रिचर्ड्सन 49 रन पर नाबाद रहे। ऑस्ट्रेलिया की टीम पांच रन से जीत गई। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला श्रीलंका से हुआ।
ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए मार्क टेलर के 74 रनों की मदद से 241 रन बनाए लेकिन श्रीलंका ने तीन विकेट के नुकसान पर ही लक्ष्य हासिल कर लिया।किसी भी विश्व कप फाइनल में एक खिलाड़ी ने इतना दमखम नहीं दिखाया था, जैसा कि इस फाइनल में अरविंद डी सिल्वा ने दिखाया। उन्होंने दो कैच पकड़े, तीन विकेट लिए और नाबाद 107 रनों की पारी खेली। श्रीलंका ने लाहौर के मैदान पर जीत हासिल की और पहली बार विश्व कप का खिताब हासिल किया। भारत और पाकिस्तान के बाद श्रीलंका ख़िताब जीतने वाला तीसरा एशियाई देश बना।
27 साल पहले 13 मार्च 1996 को विश्व कप मैच में जो कुछ घटित हुआ उसने करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों का दिल तोड़ दिया। चाहे भारतीय खिलाड़ी हो या फिर स्टैंड में मौजूद दर्शक, चारों तरफ गम और उदासी पसरी थी। भारत और श्रीलंका के बीच कोलकाता में खेले गए क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइलन मैच की।यह वही मैच था जिसमें विनोद कांबली रोते हुए मैदान से बाहर आए थे। वहीं, भारत को हारता हुआ देख क्रिकेट फैंस ने स्टैंड में आग लगा दी थी।
कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गए इस विश्व कप सेमीफाइनल में भारत ने टॉस जीतकर फील्डिंग की। श्रीलंका की शुरुआत अच्छी नहीं रही और पहला विकेट सिर्फ एक रन पर गिर गया। ओपनर रोमेश कालूवितर्णा बगैर खाता खोले आउट हुए। सनथ जयसूर्या भी 1 बनाकर चलते बने। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए असांका गुरुसिघा भी एक रन बनाकर आउट हो गए। श्रीलंका को ये तीनों झटके जवागल श्रीनाथ ने दिए. एक समय श्रीलंका ने अपने 3 विकेट 35 रनों पर खो दिए थे। इसके बाद अरविंद डिसिल्वा और रोशन महानामा ने श्रीलंका की पारी को संभाला। इन दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय बॉलिंग का सामना करते हुए अर्धशतक लगाए। अरविंद डिसिल्वा 66 और रोशन महानामा 58 रन बनाकर आउट हुए। कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने 35 और हसन तिलकरत्ने के बल्ले से 32 रनों की पारी निकली। निचले क्रम में चमिंडा वॉस ने 16 गेंदों पर 23 रनों की तेजतर्रार पारी खेली। इस तरह श्रीलंका अपनी पारी में 8 विकेट पर 251 रन बनाने थे।
खराब शुरुआत
जीत के लिए 252 रन का लक्ष्य हासिल करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और पहला विकेट 8 रन पर धराशायी हो गया।पारी का आगाज करने आए नवजोत सिंह सिद्धू 3 रन बना पाए। इस दौरान सचिन ने एक छोर पर टिककर बल्लेबाजी करते हुए संजय मांजरेकर के साथ 90 रन की साझेदारी की। जिस समय तेंदुलकर और मांजरेकर खेल रहे थे तो ऐसा लगा भारत बड़ी आसानी से टारगेट हासिल कर लेगा। लेकिन इसी दौरान जयसूर्या की गेंदों ने रंग दिखाया और उन्होंने सचिन समेत मांजरेकर को पैवेलियन भेज दिया। चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन खाता भी नहीं खोल पाए। कुल मिलाकर भारत ने 110 रन पर 5 विकेट खो दिए।
बेकाबू हुई भीड़
भारत का पांचवां विकेट गिरने के बाद ईडन गार्डन्स पर मौजूद भारतीय फैंस बेकाबू हो गए। वह भारत को हारता हुए देखना नहीं चाहते थे. टीम इंडिया ने अपने 7 विकेट महज 22 रन पर खो दिए। भारत को मैच जीतने के लिए 15.5 ओवर में 132 रन बनाने थे। जो टीम इंडिया के लिए टेढ़ी खीर थी. बेकाबू भीड़ ने स्टैंड में आग लगा दी। फील्डिंग कर रहे श्रीलंकाई खिलाड़ियों पर बोतलें फेंकी गईं। कुल मिलाकर मैदान पर अफरातफरी का माहौल था। मैच रेफरी क्लाइव लॉयल ने 15 मिनट तक खेल रोक दिया। जब दोबारा खेल शुरू हुआ था। इसके बाद मैच रेफरी ने श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया। खेल रोके जाने तक भारत ने 8 विकेट पर 120 रन बनाए थे।
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