- महज कागजों तक सीमित हो गई कई योजनाएं, जनता हो रही परेशान।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर के नालों की हालत जर्जर है। नालों को कवर करने की योजनाएं महज कागजों तक सीमित हो गई हैं। गंदगी व सिल्ट के कारण नाले दलदल में तब्दील हो चुके हैं। हालत यह है कि, अगर कोई एक बार गलती से नाले में गिर जाए वह अपने आप बाहर नही निकल पाता।
शहर के नाले जलभराव से ज्यादा अब हादसों के लिए अपनी पहचान बना रहे है। इसमें शहर के नाले और उनकी बदहाली के हर बिंदुओं को दशार्या था। इसके लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर सर्वे कराया गया। व्हाट्सऐप, फेसबुक, एक्स आदि सोशल प्लेटफॉर्म पर आम लोगों ने अपनी राय रखी। इस सर्वे में 100 से ज्यादा लोगों ने पार्टिसिपेट किया।
पिछले पांच साल में 30 से अधिक हादसे हो चुके हैं। हैरान करने वाली बात है कि, निगम इन हादसों को रोकने में जरा भी गंभीर नही है। हालांकि, नालों की कवरिंग की योजना हर साल बनती है लेकिन यह योजना केवल डीपीआर तक सीमित रहती है। हालांकि, हादसों से बचाव के लिए नगर निगम ने गत वर्ष नालों को कवर करने और बाउंड्री वॉल को बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन इसके बाद भी अधिकतर नालों की बाउंड्री वॉल जर्जर है।
गंदगी और सिल्ट का अंबार: दरअसल, शहर के रिहायशी इलाकों में बने रोड साइड छोटे नाले और बड़े नालों की बाउंड्री या कवर ना होने के कारण लगातार जलभराव की समस्या विकराल बनती जा रही है। इतना ही नही बरसात में कई इलाकों में नाले का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में घरों तक में बन जाता है। ऐसे में निगम ने शहर में घनी आबादी के बीच से गुजर रहे छोटे-बड़े 311 नालों में हर साल जलभराव का कारण बनते हैं। कई साल से निगम इन नालों को कवर करने की योजना बना रहा है लेकिन कवर नही हो पा रहे हैं।