– सबकुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे हैं संबंधित विभाग, नहीं हो रही कार्रवाई
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। शहर की आबोहवा में जो पॉल्यूशन घुल रहा है, उसमें परिवहन निगम का भी उतना ही दोष हैै, जितना किसी और का। अब आप कहेंगे वो कैसे, चलिए बताता हूं। दरअसल, परिवहन निगम के आंकड़ों के अनुसार शहर की सड़कों पर आज की डेट में पेट्रोल और डीजल मिलाकर करीब 93022 ऐसे व्हीकल्स फरार्टा भर रहे हैैं, जो नियमानुसार अपनी आयु सीमा पूरी कर चुके हैैं। मगर परिवहन विभाग ने इन पर शिकंजा कसने की बजाए, इन्हें संचालन की छूट दे रखी है।
अप्रैल 2015 में एनजीटी ने दिल्ली और एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का संचालन प्रतिबंधित कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी शहर की सड़क पर 92 हजार से अधिक पुराने वाहनों का संचालन जारी है। इनमें 32650 डीजल वाहन और 60372 के करीब पेट्रोल वाहन ऐसे हैं, जिन्होंने इस साल अपनी आयु को पूरा कर लिया। हालांकि, इसमें करीब 22 हजार वाहनों अन्य जनपद में संचालन की एनओसी ले चुके हैं और 40 हजार से अधिक वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किया जा चुका है।
300 करीब सरकारी वाहन: वहीं आयु पूरी होने के बाद भी जनपद के विभिन्न सरकारी विभागों में करीब 300 सरकारी वाहन प्रयोग हो रहे हैं। इन वाहनों का संचालन तुरंत सड़क से हटाने के लिए आरटीओ कार्यालय द्वारा सभी विभागों को वाहनों के नंबर समेत सूची भेजी जा चुकी है। लेकिन, इसके बाद भी अधिकतर वाहन सड़कों पर संचालित हैं।
सवा 200 खटारा रोडवेज बसें: इन आउट डेटेड वाहनों में परिवहन विभाग की 10 साल पूरी कर चुकी रोडवेज की डीजल बसें शामिल हैं। सूची में 226 यूपी एसआरटीसी की सरकारी और अनुबंधित बसें शामिल हैं। इसके अलावा विभिन्न सरकारी बैंकों में लगी 26 से अधिक गाडियां और पीवीवीएनएल, एलआईसी, नगर निगम, कैंट बोर्ड, कृषि विभाग में संचालित चौपहिया वाहन शामिल हैं।