सोमवार को रात्रि 11:22 से लेकर 12:40 तक विशेष समय जिसमें महानिशीत काल भी रहेगा।
राहुल अग्रवाल
मेरठ। यशोदा नंदन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव इस बार 26 अगस्त दिन सोमवार को जन्माष्टमी पर्व के रूप में दुर्लभ संयोग व योग के बीच मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस बार नंदलाल का 5251 जन्म उत्सव मनाया जाएगा। इस बार अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र सर्वार्थ सिद्धि योग व गजकेसरी योग के साथ ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म कुंडली से मिलती-जुलती ग्रहों की शुभ बेला में मनाया जाएगा।
भगवान श्री कृष्ण की प्रचलित कुंडली में वृषभ लग्न में चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रोहिणी नक्षत्र में लग्न में स्थित थे। चतुर्थ भाव में सूर्य विराजमान थे। इस बार भी ग्रहों की यही स्थिति बन रही है। इस बार चंद्र उदय रात्रि 11:22 पर होगा यहां से लेकर लगभग 12:40 तक पूजा का विशेष समय जिसमें महानिशीत कल भी रहेगा। इस बार देवगुरु बृहस्पति भी अपने मित्र चंद्रमा के साथ जो की अपनी प्रिय राशि वृषभ में उच्च के होकर विराजमान है। उनके साथ गज केसरी योग का निर्माण करेंगे।
पुराणों के अनुसार 5251 वर्ष पूर्व जब भगवान कृष्ण का अवतार हुआ था उसे समय बन रहे कुछ योग वह ग्रहों का संयोग इस बार 26 अगस्त दिन सोमवार जन्माष्टमी महोत्सव पर पड़ रहा है। जिस कारण इस जन्मोत्सव की महिमा और बढ़ गई है। इस दिन किया गया व्रत पूजन व दान विशेष फल देने वाला रहेगा।
इस बार इस विशेष पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा पाने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं। पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि लगभग 11:00 बजे से लेकर 12:40 के बीच में घर में पूजा स्थल पर बैठकर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान की बाल रूप की एक तस्वीर स्थापित करें देसी घी का दीपक जलाएं धूप आदि जलाएं तथा निम्नलिखित मंत्र की 21 माला या यथाशक्ति जितनी आप कर पाए उतनी माला रुद्राक्ष या हल्दी की गांठ की माला पर जाप करें।
ऊं क्लीं कृष्णाय नम:
इस दिन भक्ति भाव व प्रेम पूर्वक कान्हा का पूजन करने से आपको निश्चय ही प्रेम की मूर्ति भगवान श्री कृष्णा की असीम कृपा प्राप्त हो सकती है