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Friday, November 14, 2025
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Homepolitics newsसंसद सर्वोच्च, इसमें किसी को संदेह न हो : जगदीप धनखड़

संसद सर्वोच्च, इसमें किसी को संदेह न हो : जगदीप धनखड़

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  • उपराष्ट्रपति ने कहा संविधान में संसद के ऊपर कोई प्राधिकारी की कल्पना नहीं
  • आपातकाल लोकतांत्रिक दुनिया के मानव इतिहास का सबसे काला दौर था

एजेंसी, नई दिल्ली। जहां देश में इस समय संसद और न्यायपालिका के बीच बहस छिड़ी हुई है, इसी दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी में बोलते हुए कहा कि संसद सर्वोच्च है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संसद सर्वोच्च है और निर्वाचित प्रतिनिधियों से ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, एक प्रधानमंत्री जिसने आपातकाल लगाया था, उसे जवाबदेह ठहराया गया। लोकतंत्र लोगों के लिए है और सेफगार्ड है, यह निर्वाचित प्रतिनिधियों का है। संविधान में संसद से ऊपर किसी प्राधिकारी की कल्पना नहीं की गई है। संसद सर्वोच्च है। यह देश के प्रत्येक व्यक्ति जितना ही सर्वोच्च है। जगदीप धनखड़ ने कहा, हम संविधान दिवस और संविधान हत्या दिवस क्यों मनाते हैं? क्योंकि 1949 में संविधान को अपनाया गया था और उस संविधान को 1975 में नष्ट कर दिया गया था।

आपातकाल लोकतांत्रिक दुनिया के मानव इतिहास का सबसे काला दौर था। उन्होंने आगे कहा, मैं सबसे काला इसलिए कह रहा हूं क्योंकि देश की सबसे बड़ी अदालत ने 9 उच्च न्यायालयों के फैसले को नजरअंदाज करते हुए अपना फैसला सुनाया था। 9 उच्च न्यायालयों को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि लोकतंत्र के मौलिक अधिकारों पर कभी रोक नहीं लगाई जा सकती, लेकिन ऐसा किया गया.उपराष्ट्रपति ने कहा, एक मामले में, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है (गोरकानाथ मामला) और दूसरे मामले में यह कहता है कि यह संविधान का हिस्सा है (केशवानंद भारती) केस।

उन्होंने आगे लोकतंत्र में बातचीत के महत्व पर जोर दिया और कहा कि लोकतंत्र को बाधित नहीं किया जा सकता है। हमारी चुप्पी बहुत खतरनाक हो सकती है। सोचने वाले दिमागों को हमारी विरासत को संरक्षित करने में योगदान देना होगा। हम संस्थानों को बर्बाद करने या व्यक्तियों को कलंकित करने की अनुमति नहीं दे सकते।

संवैधानिक प्राधिकरण का हर शब्द संविधान के तरफ से निर्देशित होता है। उन्होंने कहा हमें अपनी भारतीयता पर गर्व करना चाहिए। हमारा लोकतंत्र व्यवधान कैसे बर्दाश्त कर सकता है। सार्वजनिक संपत्ति जलाई जा रही है। सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो रही है। हमें इन ताकतों को बेअसर करना होगा।

 

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