Thursday, June 19, 2025
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वनस्पति में घुसपैठी प्रजातियों के नुकसान की जानकारी दी

  • इन पौधों के कारण स्थानीय प्रजातियों को खतरा हो रहा।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। वनस्पति विज्ञान के 47 वें अखिल भारतीय सम्मेलन व अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक दिग्गज वैज्ञानिकों ने स्मृति व्याख्यान, आमंत्रित व्याख्यानो द्वारा सभी प्रतिभागियों का नवीन शोध व अनुप्रयोगों के विषय में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रकाश में ज्ञान वर्धन किया।

प्रोफेसर डेजी आर बतीश चंडीगढ़ ने प्रोफेसर उमाकांत सिन्हा स्मृति व्याख्यान देते हुए घुसपैठी प्रजातियों के कारण होने वाली समस्याओं के विषय में विस्तार से बताया। कहा कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इन पादपों पर सबसे कम देखा गया है।

 

 

क्योंकि नई परिस्थितियों व आवास में ढल जाने के बाद ये पौधे स्थानीय प्रजातियों के जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं। स्वयं को बदलती परिस्थितियों के लिए अनुकूलित करते रहते हैं। पार्थ नियम लैंटाना आदि कुछ पौधे आयतित कर अथवा लाकर लगाए गए हैं जैसे काला बांसा जो अपने अनुकूलन क्षमता के कारण तेजी से फेल कर स्थानीय पीला बांस व अन्य शोभा पुष्पों वाले पादपो पर दाब बढ़ाकर उन्हें धीरे-धीरे उसे स्थान से समाप्त कर देता है।

प्रोफेसर डीए पाटिल ने प्रोफेसर जी पाणिग्रही के स्मृति व्याख्यान देते हुए बताया कि लगभग सभी पुराने संहिताओं वृक्ष आयुर्वेद निघंटुओं में इन घुसपैठी पौधों की आक्रामकता के विषय में विस्तार से लिखा गया है।

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