Home Meerut आईजीएनसीए हमारी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा रहा : राजेन्द्र सिंह

आईजीएनसीए हमारी संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा रहा : राजेन्द्र सिंह

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– राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार फ़िल्म की हुई स्क्रीनिंग

– सिनेमा में महिलाओं के योगदान पर लगाई गई प्रदर्शनी


शारदा रिपोर्टर मेरठ। मंगलवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ( आईजीएनसीए) मीडिया सेंटर ने मेरठ स्थित आईआईएमटी विश्वविद्यालय में अपनी राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘लुकिंग फॉर चल्लन’ की स्क्रीनिंग की। इस फिल्म ने ‘सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म’ श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है।

इसके अलावा सिनेमा में महिलाओं के योगदान पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त राजेन्द्र सिंह ने फीता काटकर प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि इस तरह के कार्यक्रम कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए होने चाहिए। इस क्रम में संस्कृति मंत्रालय की स्वायत्त संस्था के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र निरन्तर आगे रहा है। ऐसे कार्यक्रम दिल्ली-एनसीआर में संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए दवा की तरह है। जिससे हमें अपने स्थान पर बैठकर ही देश की विभिन्न राज्यों की संस्कृति को जानने का अवसर मिल रहा है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के मीडिया नियंत्रक अनुराग पुनेठा ने पुरस्कार विजेता फ़िल्म के बारे में बताया। वहीं, उन्होंने केंद्र द्वारा किए जा रहे कार्यो के बारे में बताया।

उप नियंत्रक श्रुति नागपाल ने छात्र-छात्राओं से सीधा संवाद किया। उन्होंने सिनेमा के विभिन्न पहलुओं के बारे में रूबरू कराया। उन्होंने चलचित्र सहित अन्य फ़िल्म सम्बन्धी जानकारियों से अवगत कराया। प्रदर्शनी में पुरानी और नई हिन्दी फिल्मों के पोस्टर शामिल थे। ये पोस्टर उन फिल्मों के हैं, जिनमें महिलाओं की केंद्रीय और सशक्त भूमिकाएं हैं।

कार्यक्रम में फ़िल्म समीक्षक इकबाल रिज़वी, डीन डॉ. रविन्द्र प्रताप राणा, विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा, प्रोफेसर डॉ. नरेन्द्र मिश्र, प्रोफेसर डॉ. अशोक मिश्रा, डॉ. विवेक सिंह, सचिन गोस्वामी, डॉ. अर्किन चावला, मीडिया कोर्डिनेटर सुनील शर्मा भी उपस्थित रहे।

यह है फ़िल्म

फिल्म ‘लुकिंग फॉर चल्लन’ केरल के नीलांबर जंगल की संस्कृति और विरासत की आकर्षक दुनिया को गहराई से उजागर करती है। यह केरल के नीलांबर वन क्षेत्र में निवास करने वाली चोलानायकन जनजातीय समुदाय की समृद्ध परम्पराओं की अनकही कहानियों पर भी प्रकाश डालती है।

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