Wednesday, April 16, 2025
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सिमटते कारवां को लेकर कैसे आगे बढ़ेगी बसपा

  • काशीराम परिनिर्वाण दिवस पर अपेक्षा के अनुरूप बहुत कम जुटी भीड़,
  • पांच मंडलों से नोएडा में पहुंचे मात्र चार-पांच हजार कार्यकर्ता,
  • अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ने का बसपा कर चुकी है ऐलान।

अनुज मित्तल: समाचार संपादक |

शारदा न्यूज, मेरठ। बहुजन समाज पार्टी का कारवां अब कहीं न कहीं सिमटता सा नजर आता है। कभी कार्यकर्ताओं के जुनून और भारी भीड़ के लिए पहचान रखने वाली बसपा के कार्यकर्ता जहां उदासीन नजर आते हैं। वहीं भीड़ भी बहुत कम होती जा रही है।

बहुजन समाज पार्टी की उत्तर प्रदेश में कभी तूती बोला करती थी। प्रदेश में अपने दम पर सरकार बनाने के साथ ही गठबंधन कर सरकार बनाने और सरकार गिराने का दम रखने वाली बसपा की मजबूती उसके मूल दलित वोट बैंक से थी। जिनके दम पर वह शतरंज की सियासी बिसात पर अपना दांव खुलकर चलती रही है।

लेकिन 2017 के बाद से बसपा लगातार सिमट रही है। एक तरफ जहां विधानसभा और लोकसभा में उसकी सीटों का ग्राफ गिर रहा है, तो दूसरी तरफ कार्यकर्ता भी लगातार उदासीन हैं और संगठन स्तर पर भी अब वह पैनापन नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि भाजपा और विपक्षी दल अब बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने में जुटे हुए हैं।

नोएडा की भीड़ ने किया मायूस

सोमवार को नोएडा में बसपा ने बसपा के संस्थापक काशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें मेरठ सहित मुरादाबाद, सहारनपुर, बरेली और आगरा मंडल के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था। उम्मीद की जा रही थी कि भारी संख्या में भीड़ इस कार्यक्रम में आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, मात्र चार-पांच हजार की भीड़ ही इस कार्यक्रम में पहुंच पाई। जिसे देख पार्टी के पदाधिकारी भी अब नए सिरे से मंथन करने को मजबूर हो गए हैं।

अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ी मायावती

बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को लखनऊ में एक बार फिर से स्पष्ट कर दिया कि वह लोकसभा चुनाव में किसी से भी गठबंधन नहीं कर रही है, बल्कि अकेले दम पर ही चुनाव लड़ेंगी। ऐसे में कार्यकर्ता परेशान हैं, क्योंकि पिछले करीब साढ़े छह साल में बसपा अपने जनाधार को बढ़ाना तो दूर उसे रोकने में भी कामयाब नहीं हुई, उल्टा वह कहीं सिमटता नजर आ रहा है।

आईएनडीआईए कर रहा गठबंधन का अभी भी प्रयास

बसपा कमजोर भले ही हुई हो, लेकिन अभी भी वह किसी का भी खेल बिगाड़ने और बनाने की स्थिति में जरूर नजर आती है। यही कारण है कि भाजपा के खिलाफ उत्तर प्रदेश में आईएनडीआईए अभी भी बसपा को अपने साथ लगाने की उम्मीद लगाए बैठा है और लगातार प्रयास किया जा रहा है।

गठबंधन हुआ तो सीटों पर बिगड़ेगी बात

बसपा सूत्रों का कहना है कि बसपा के कुछ पदाधिकारी और कार्यकर्ता आईएनडीआईए के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि गठबंधन होता है तो बसपा को कितनी सीटों पर चुनाव लड़ाया जाएगा? क्योंकि वर्तमान में बसपा के पास सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज, घोसी और गाजीपुर की सीटें हैं। वहीं मेरठ सीट पर बसपा की बहुत कम अंतर से हार हुई थी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में कम से कम 20 से 25 सीटों पर बसपा अपना दावा करेगी। जिसे स्वीकार करना सपा, कांग्रेस और रालोद के लिए मुश्किल होगा। क्योंकि सपा जहां आधी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का पूरी तरह बन बना चुकी है, तो कांग्रेस और रालोद के लिए भी सीटें छोड़नी होंगी। ऐसे में सीटों के बंटवारे पर बात बिगड़ सकती है।
वहीं बसपा की पूर्व में पाला बदल स्थिति को देख भाजपा भी उसके अकेले चुनाव लड़ने को ही तवज्जो देगी। क्योंकि इतनी सीट भाजपा भी बसपा को नहीं देना चाहेगी।

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