Saturday, October 11, 2025
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पायलट को जिम्मेदार ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण, प्लेन क्रैश की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट नाराज

नई दिल्ली: 12 जून 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में यात्रियों से भरा एअर इंडिया का प्लेन अचानक क्रैश हो गया था। इस हादसे में 270 लोगों की जान चली गई, लेकिन प्लेन क्रैश की असली वजह अभी तक सामने नहीं आ सकी है। इसपर जांच अभी जारी है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है।

अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में प्लेन क्रैश की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्व सिंह की बेंच ने मामले पर सुनवाई की। सर्वोच्च न्यायालय ने एएआईकी प्राथमिक जांच को गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। इस रिपोर्ट में प्लेन क्रैश की वजह साफ न करते हुए पायलट की चूक का अंदेशा जताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए नाराजगी जाहिर की है।

लाइव लॉ के अनुसार, सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए दावा किया है कि एयर इंडिया प्लेन क्रैश की जांच में मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। याचिका में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए गए हैं।

बता दें कि एएआईबी ने अपनी रिपोर्ट में फ्यूल कटआॅफ होने की वजह से प्लेन क्रैश होने का अंदेशा जताया था। याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा एअर इंडिया के विमान बोइंग ड्रीमलाइनर 171 की कमान अनुभवी पायलट्स के हाथ में थी। इस हादसे को 100 दिन पूरे हो चुके हैं। अभी तक सिर्फ प्राथमिक रिपोर्ट ही रिलीज की गई है। इस रिपोर्ट में भी प्लेन क्रैश की वजह साफ नहीं है। इससे साफ है कि बोइंग में सफर करने वाले सभी यात्रियों की जान खतरे में है।
5 सदस्यों की टीम मामले की जांच कर रही है, जिनमें 3 सदस्य एएआईबी के हैं। प्लेन क्रैश में भी एएआईबी जिम्मेदार हो सकती है। ऐसे में इस मामले की निष्पक्ष जांच कैसे होगी? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।

कोर्ट ने मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए केंद्र को सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है। एएआईबी रिपोर्ट पर बात करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हिस्सों में जानकारी साझा करने की बजाए जब तक जांच पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती और कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है, तब तक गोपनीयता का खास ख्याल रखा जाना चाहिए।

 

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