शारदा रिपोर्टर मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज एवं स व भा प चिकित्सालय परिसर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर एक जनजागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में आम लोगों को हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और इस गंभीर बीमारी से बचाव के उपाय बताए गए। साथ ही, हेपेटाइटिस बी व सी की नि:शुल्क जांच-दवा तथा हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव माताओं के शिशुओं के लिए मुफ्त इम्यूनोग्लोबुलिन मुफ्त दी जा रही है! की भी जानकारी दी गई!
मेडिसिन विभाग के आचार्य व हेपेटाइटिस मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर के प्रभारी डॉ. अरविंद कुमार, आॅब्सटेट्रिक्स एंड गायनाकोलॉजी विभाग की आचार्य डॉ. अनुपम रानी, और पैथोलॉजी विभाग व रक्त कोष विभाग की प्रभारी डॉ. प्रिया गुप्ता ने लोगों को समझाया कि चारों प्रकार के हेपेटाइटिस अलग-अलग होते हैं और इनसे कैसे बचा जा सकता है।
हेपेटाइटिस ए गंदा पानी या दूषित खाना खाने से (मल-मूत्र के जरिए)।
लक्षण: बुखार, थकान, पीलिया (त्वचा/आंखों का पीला पड़ना), उल्टी। बचाव टीका (वैक्सीन) लगवाएं! साफ पानी पिएं, खाने से पहले व शौच के बाद अच्छे से हाथ धोएं।
इलाज: आराम करें, पौष्टिक खाना खाएं। ज्यादातर ठीक हो जाते हैं।
हेपेटाइटिस बी संक्रमित व्यक्ति के खून या शरीर के तरल पदार्थ (वीर्य, योनि स्राव) के संपर्क में आने से। असुरक्षित यौन संबंध, इंजेक्शन की सुई/ब्लेड शेयर करने, संक्रमित मां से बच्चे को जन्म के समय। लंबे समय तक (क्रॉनिक) रह सकता है। लीवर खराब (सिरोसिस), लीवर कैंसर का खतरा। टीका (वैक्सीन) सबसे बड़ी सुरक्षा। सुरक्षित यौन संबंध, सुई/ब्लेड शेयर न करें।
शिशु सुरक्षा: हेपेटाइटिस बी पॉजिटिव माताओं से जन्मे शिशुओं को प्रसव के 12 घंटे के भीतर नि:शुल्क इम्यूनोग्लोबुलिन दिया जाता है।
हेपेटाइटिस सी मुख्य रूप से संक्रमित खून के संपर्क से। सुई/सीरिंज शेयर करने से, असुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाओं से। ज्यादातर क्रॉनिक होता है। सालों तक पता नहीं चलता, लीवर को चुपके से नुकसान पहुँचाता है। अभी कोई टीका नहीं। सुई/ब्लेड शेयर न करें, टैटू/नाक छिदवाते समय नई सुई का इस्तेमाल सुनिश्चित करें। जाँच व दवाएँ नि:शुल्क उपलब्ध! नई दवाएं 12 हफ्तों में 95% मरीजों को पूरी तरह ठीक कर सकती हैं।
हेपेटाइटिस ई दूषित पानी पीने या दूषित खाना खाने से मल-मुंह के रास्ते फैलता है।
लक्षण: बुखार, थकान, पीलिया, पेट दर्द, उल्टी।
खतरा : गर्भवती महिलाओं में जानलेवा! लीवर फेलियर का खतरा।
बचाव: पानी उबालकर पिएं, स्ट्रीट फूड न खाएं, सफाई का विशेष ध्यान रखें।
इलाज: आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। गंभीर मामलों में अस्पताल में देखभाल जरूरी। हेपेटाइटिस बी