– खतौनी से कर्ज हटाने के लिए मांगी थी घूस
सहारनपुर। एंटी करप्शन टीम ने संग्रह विभाग के हेड क्लर्क (बड़े बाबू) को 5 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा। आरोप है बड़ा बाबू खतौनी पर चढ़े कर्ज को हटाने के लिए युवक को लगातार परेशान कर रहा था। वह उससे रिश्वत मांग रहा था।
कई महीनों से परेशान उस युवक ने इस बारे में एंटी करप्शन को बताया। तय प्लान के मुताबिक, टीम के तहसील पहुंचने से पहले युवक पैसे लेकर बड़े बाबू के पास पहुंच गया। जैसे ही बड़े बाबू ने युवक से पैसा लिया, उसे एंटी करप्शन टीम ने रंगे हाथों दबोच लिया। मामला रामपुर मनिहारान तहसील के संग्रह विभाग का है।
थाना नानौता के गांव काशीपुर के रहने वाले स्वर्गीय किसान रामवीर ने बैंक से अपनी जमीन के लिए 18.50 लाख रुपए का लोन लिया था। कर्ज चुकाते-चुकाते बुजुर्ग किसान की मौत हो गई। इसके बाद किसान के बेटे अरुण कुमार ने धीरे-धीरे सारा कर्ज चुका दिया था। इसके बाद युवक बैंक पहुंचा, जहां बैंक ने किसान को नो-ड्यूज दे दिया। नो-ड्यूज को लेकर अरुण तहसील पहुंचा। वहां पर बडे़ बाबू दुर्गा प्रसाद कपिल मिला। युवक ने अपनी खतौनी से कर्ज हटाने को लेकर प्रार्थना पत्र दिया।
बड़े बाबू प्रार्थना पत्र देने पर युवक को परेशान करने लगा। उससे पैसों की डिमांड भी कर रहा था। जिसके बाद अरुण रामपुर मनिहारान तहसील पहुंचे। इसके बाद बाबू ने उससे खतौनी से कर्ज हटाने के नाम पर 5 हजार रुपए मांगे। इसके बाद अरुण ने कुछ टाइम लिया और एंटी करप्शन टीम को सूचना दी। एंटी करप्शन की टीम ने केमिकल लगाकर 5 हजार रुपए अरुण को दिए।
एंटी करप्शन की टीम सिविल वर्दी में तहसील के संग्रह विभाग पहुंच गई। अरुण वहां पहुंचा और बाबू दुर्गा प्रसाद को 5 हजार रुपए दिए। उसी समय टीम ने उसे दबोच लिया। उसके हाथों को केमिकल में डाला। इससे उसके हाथों का रंग बदल गया। इसके बाद एंटी करप्शन की टीम आरोपी बाबू को थाना सदर बाजार ले गई।
मामले में अरुण कुमार का कहना है कि हम लोग किसान हैं। हम लोगों के पास एक कृषि कार्ड होता है। कृषि कार्ड से जो हम लोग पैसा लेते हैं, वह खतौनी पर दर्ज हो जाता है। वो पैसा हमने 3-4 महीने पहले ही जमा कर दिया था। हम उसको हटवाने के लिए लगातार निवेदन कर रहे थे। अधिकारियों के पास भी गए। उन्होंने बाबू के पास एप्लिकेशन मार्क करके दे दी। इसके बाद जो है वो आपके सामने है।
अरुण ने कहा कि 1 नवंबर, 2024 को हमने सारा कर्ज चुका दिया था। अब उसको हटाने के लिए उसके कागज चाहिए। बाबू ने हमसे कहा कि बैंक से नो-ड्यूज लाइए। इसके बाद हम बैंक से नो-ड्यूज लेकर आए। यह डॉक्यूमेंट अपने आप में कंपलीट है। लेकिन, इसके बाद भी बाबू ने दूसरे कागज की मांग की।