Home Meerut माँ बगलामुखी अवतरण दिवस पर हवन व विशाल भण्डारे का आयोजन

माँ बगलामुखी अवतरण दिवस पर हवन व विशाल भण्डारे का आयोजन

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  • हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माँ बगलामुखी का अवतरण दिवस मनाया जाता है

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माँ बगलामुखी का अवतरण दिवस मनाया जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में भी मनाये जाने की मान्यता है। इस वर्ष यह पर्व 15 मई बुधवार को होने पर शहर के मंदिरों में हवन पूजन व भंडारों का आयोजन किया गया।

बुधवार के दिन माँ बगलामुखी के अवतरण दिवस पर माँ बगलामुखी धाम यज्ञशाला श्री दक्षिणेश्वरी काली पीठ मंदिर साकेत मेरठ में सुबह 8 बजे से सांय 8 बजे तक हवन, पूजन व दोपहर में विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।

मंदिर पुजारी मां बगलामुखी साधक आचार्य प्रदीप गोस्वामी जी ने बताया कि वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना कि जाती है साधक को माता बगलामुखी की निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए।बगलामुखी अवतरण पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है। जिसके उपलक्ष्य में आज मंदिर में हवन पूजन व विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।

साधक आचार्य प्रदीप गोस्वामी जी बताते है कि माँ बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।

देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं, संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी में। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है।

उन्होंने बताया कि एक मान्यता अनुसार देवी माँ बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है, जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेकों लोक संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए।

इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर कठोर तप करते हैं। भगवान विष्णु ने तप करके हात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ।

उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई, त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न होकर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रूक सका। देवी माँ बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं, इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।

मां बगलामुखी पूजन —-

मां बगलामुखी साधक आचार्य प्रदीप गोस्वामी जी बताते है कि माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए। पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें। इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें। माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है। उनका मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है।

इस अवसर पर आचार्य प्रदीप गोस्वामी, आशा गोस्वामी, बबिता, कामेश शर्मा, वैभव गोयल, नरेश कुमार, विपुल सिंघल, हिमांशु वर्मा, गोपाल भया, अनुराग शर्मा, विशाल बंसल, श्री ठाकुर जी आदि ने उपस्थित रहकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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