Wednesday, June 18, 2025
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जाट लैंड में जाटों का बंटवारा, दूसरी बिरादरियां कर रही किनारा

– जाटों के राजनैतिक चक्रव्यूह में फंसी भाजपा को अब लग रहे झटके
– पश्चिमी क्षेत्र में जाटों के बराबर ही हैं ठाकुर, गुर्जर, वैश्य और ब्राह्मण


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। जाट बिरादरी के राजनीतिक चक्रव्यूह में भाजपा ऐसी फंस चुकी है कि अब उसे न निगलते सूझ रहा और न ही उगलते सूझ रहा है। लगातार तथाकथित मीडिया और जाट नेताओं के माध्यम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जाट लैंड का हल्ला मचाकर सभी राजनीतिक दलों को घूमाकर रख दिया। जिसके चलते इस चुनाव से पहले तक सभी दलों की राजनीति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट बिरादरी के चारों तरफ ही घूमती नजर आने लगी थी। लेकिन भाजपा को छोड़कर अन्य दलों ने इस बार जाट बिरादरी को उतनी तवज्जो नहीं दी, जिसका फायदा जहां उन्हें मिलता नजर आ रहा है, तो भाजपा का अपना वोट बैंक दूसरी बिरादरियों की उपेक्षा के कारण खिसकता नजर आ रहा है।

मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, सहारनपुर, शामली, हापुड़ आदि जितने भी जनपदों में यदि जातीय समीकरण का आंकड़ा देखें, तो जाट बिरादरी कहीं भी इतनी संख्याबल में नहीं है कि चुनाव का रूख अकेले दम पर बदल सके। क्योंकि इस क्षेत्र में जाटों के बराबर ही ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर आदि आते हैं। अति पिछड़ा वर्ग से प्रजापति, सैनी, कश्यप, पाल आदि भी कहीं-कहीं जाटों से ज्यादा चुनाव को प्रभावित करते हैं।

बावजूद इसके पिछले दो दशक में जाट नेताओं द्वारा माहौल तैयार करते हुए इस क्षेत्र को जाटलैंड कहा जाने लगा और राजनीतिक दल भी धरातल पर बिना किसी गणना और सोच के इसमें फंसते चले गए। वर्तमान में भाजपा के भीतर प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, कई सांसद, एमएलसी और विधायक जाट हैं। जबकि यदि वैश्य, ठाकुर, गुर्जर बिरादरी की बात करें तो यें गिनती के हैं। इस बार भी लोकसभा चुनाव में दूसरी बिरादरियों को लगभग दरकिनार कर दिया गया। जिससे नाराजगी बढ़ गई और इस समय हर तरफ विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं।

सपा और बसपा ने समझी स्थिति

सपा और बसपा ने इस माहौल को भांपते हुए इस चुनाव में अपनी तगड़ी चाल चल दी। दोनों ने ही जाटों के साथ-साथ अन्य बिरादरियों को भी चुनाव में प्रतिनिधित्व देकर सभी को चौंका दिया है। इसमें बसपा सबसे दो कदम आगे बढ़ गई।

बसपा ने मेरठ से त्यागी, मुजफ्फरनगर से प्रजापति, कैराना से ठाकुर, बिजनौर से जाट, सहारनपुर से मुस्लिम, गाजियाबाद से ठाकुर और बागपत से गुर्जर गौतमबुद्धनगर से ठाकुर को टिकट दिया है। वहीं सपा ने भी मेरठ से दलित, कैराना से मुस्लिम, मुजफ्फरनगर से जाट, बागपत से ब्राह्मण, गौतमबुद्धनगर से गुर्जर, बिजनौर से अतिपिछड़ा वर्ग से सैनी को प्रत्याशी बनाया है।

वहीं दूसरी और भाजपा की अगर बात करें तो मेरठ से खत्री, गाजियाबाद से वैश्य, गौतमबुद्धनगर और सहारनपुर से ब्राह्मण, मुजफ्फरनगर से जाट और कैराना से गुर्जर को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन एक भी सीट पर त्यागी बिरादरी को प्रतिनिधित्व नहीं दिया है, तो ठाकुर बेल्ट में ठाकुरों की भी पूरी तरह उपेक्षा कर अपना गणित बिगाड़ लिया।

अब गलती सुधारने में जुटे बड़े नेता

ठाकुर बिरादरी को साधने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मैदान में डटे हुए हैं। वैश्य बिरादरी नाराजगी के बावजूद भी भाजपा से जुड़ी हुई है,तो उसे लेकर भाजपा को कोई चिंता नहीं है। लेकिन त्यागी बिरादरी को साधने के लिए भाजपा ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है। वहीं अति पिछड़ों को लेकर भी मामला इस बार बिगड़ रहा है।

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