– एनजीटी के आदेश के बाद अब तहसील प्रशासन ने जारी किया खाली करने का नोटिस।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। मवाना तहसील के गांव नंगला गोसाई में नेताओं और अफसरों की गठजोड़ से सेंचुरी क्षेत्र की झील को पाटकर न केवल खेती हो रही है, बल्कि यहां पर पक्के मकान भी बना लिए हैं। अहम बात ये है कि इस गांव में विधायक की कृपा से सभी मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
नंगला गोसाई गांव सेंचुरी क्षेत्र में आता है। यहां पर जंगल के साथ ही झील की जमीन भी है। लेकिन बांग्लादेशियों ने इस कीमती और सुरक्षित जंगल को कब्जा लिया है। इस कब्जे के पीछे वोटों की राजनीति के चलते सत्ता पक्ष के नेताओं का पूरा संरक्षण रहा। जिसके चलते इन बांग्लादेशियों ने केवल जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करते हुए जंगल काटकर मकान बना लिया, बल्कि झील को पाटकर उस पर खेती भी शुरू कर दी।
जब इस मामले में ग्राम प्रधान सरिता सिंह ने तहसील से लेकर जिला प्रशासन से शिकायत की तो सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में पूरा मामला दबा दिया गया। सूत्रों की मानें तो एक राज्यमंत्री के दबाव में लखनऊ में भी शिकायत की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन इस मामले में जब ग्राम प्रधान ने एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई तो अफसरों की सांसे अटक गई।
करीब तीन माह पूर्व एनजीटी ने एक माह के भीतर पूरा कब्जा हटवाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश जिलाधिकारी को दिया था। लेकिन एनजीटी के आदेश का तत्काल पालन कराने के बजाए प्रशासन सत्ता के दबाव में आ गया। लेकिन एक बार फिर एनजीटी ने जब रिपोर्ट तलब करते हुए सख्ती दिखाई तो प्रशासन को कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। अब पांच नवंबर को मवाना तहसील की तरफ से सभी अवैध कब्जेदारों को कब्जा हटाते हुए जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया गया है।
सूत्रों की मानें तो इसमें भी खेल होने की बात हो रही है। क्योंकि इस नोटिस को आधार बनाकर अब अवैध कब्जेदार खुद को बेघर होने की दुहाई देते हुए हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है। क्योंकि पूर्व में नोटिस पर अभी तक अवैध कब्जेदारों ने कोई संज्ञान नहीं लिया है।
नोटिस की अवधि बीती, नहीं हुआ एक्शन
जमीन से कब्जा हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया गया था। पांच नवंबर को जारी नोटिस का समय पूरा हुए एक सप्ताह हो चुका है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हर सरकार के समय में मिला संरक्षण
सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी सरकार से लेकर भाजपा सरकार तक सभी ने अपनी वोटों के लिए इस अवैध कब्जे को संरक्ष दिया। अवैध कब्जेदारों के लिए विधायक निधि से सड़कें बनवाई गई, गांव और खेतों में विद्युतीकरण कराया गया। सभी घरों में बिजली के कनेक्शन भी दिए गए हैं।