– पुलिस प्रशासन सिर्फ यातायात माह की खानापूर्ति में जुटा, शहर का हाल है बेहाल
शारदा रिपोर्टर,मेरठ– गुरूवार से मेरठ पुलिस-प्रशासन ने शासन के निर्देश पर यातायात माह शुरू किया है। इसके लिए शायद पुलिस प्रशासन की नजरों में वाहनों के नियम ही हैं, जबकि दुघर्टना के और भी कई कारण हैं। जिनके लिए वाहन चालक नहीं बल्कि तंत्र जिम्मेदार है। लेकिन ये जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को शायद पूरी तरह भूल बैठै हैं। तभी हालात ऐसे हैं कि शहर में शायद ही कोई मार्ग ऐसा हो, जिसके डिवाइडर और उनकी रेलिंग पूरी तरह सही हो। इनसे भी दुघर्टनाएं होती हैं, शायद जिम्मेदार इसे भूल चुके हैं।
महानगर के प्रमुख मार्ग बेगमपुल से लेकर तेजीगढ़ी चौराहे की यदि बात करें तो यातायात प्रबंधन में अहम समझे जाने वाले डिवाइडर तक पुरसा हाल नहीं है। यूं कहने को रखरखाव के नाम पर प्राधिकरण व निगम एक भारी भरकम बजट साल में खर्च करता है, लेकिन इस भारी भरकम बजट के बाद भी डिवाइडरों खासतौर से बेगमपुल से लेकर तेज गढ़ी तक रास्ते पर डिवाइडर की हालत क्या है, इसके लिए ज्यादा कुछ माथापच्ची करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ इस मार्ग पर सफर कीजिए और पूरा मामला आपकी समझ में आ जाएगा।
बेगमपुल से तेजगढ़ी चौराहे की ओर हकीकत व इनके रखरखाव के लिए जिम्मेदार अफसरों तथा मेरठ को स्मार्टसिटी में शामिल कराने वालों के दावों की पोल खुद ब खुद खुलती चली जाएगी। बेगमपुल से लेकर तेजगढ़ी तक के रास्ते पर एक भी स्थान पर डिवाइडर सही नजर नहीं आयेगा।
डिवाइडर हो गए गायब
कई जगह से तो डिवाइडर ही गायब हो गए हैं। बेगमपुल से बच्चापार्क के बीच जीआईसी कालेज के सामने तो रोड से डिवाइडर ही गायब हो गए हैं। डिवाइडर के नाम पर केवल उनके अवशेष बचे हैं। बेगमपुल से जब तेजगढ़ी की ओर चलेंगे तो ज्यादातर जगह पर ऐसे ही हालत मिलेगी। ईव्ज चौराहे के आसपास भी ऐसे ही हाल बना दिया गया है। जहां से ये डिवाइडर गायब हुए हैं वहां आसपास के दुकानदारों ने बताया कि डिवाइडर ही गायब नहीं हुए हैं उनके ऊपर लगाया गया लोहे का जाल भी या तो चोरी हो गया या फिर लोग उखाड़कर ले गए।
जिम्मेदार विभागों की मुफलिसी कर रहे बयां
टूटे हुए डिवाइडर हादसों को दावत ही नहीं दे रहे बल्कि इनके रखरखाव के लिए जिम्मेदार महकमे की मुफ्लिसी को भी बयां कर रहे हैं। गंगा प्लाजा के सामने डिवाइडर पर जहां जाल नहीं है, वहां बिजली का केबल बांध दिया गया है। इसी तरह खूनीपुल भी लोगों ने डिवाडर को ही यूटर्न का रास्ता बना लिया है। बोर्ड आॅफिस के बाहर लगे क्योस्क के सामने से भी डिवाइडर गायब है। इसी के समीप एक स्थान पर तो डिवाइड किसी भारी वाहन की टक्कर से टूट गया है। उस पर लगा विज्ञापन पट कभी भी धराशायी हो सकता है।
बच्चापार्क चौराहे से पहले तो बजाए यूटर्न लेकर आने के तमाम वाहन डिवाडर को रौंदकर यूटर्न ले रहे हैं। कुछ जगह तो टूटा हुआ डिवाइडर खतरनाक हादसों की वजह बना नजर आ रहा है। कुछ स्थानों पर डिवाइड के जो अवशेष रह गए हैं उनके नुकीले लोहों में फंसकर आए दिन बाइक व स्कूटी चालक चोटिल हो रहे हैं।
मेरठ के नेताओं व अफसरों खासतौर से मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अफसरों का दावा मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने का था। यह बात अलग है कि शहर की खराब सड़कों व जाम जैसी जानलेवा समस्याओं के चलते देश के शहरों व महानगरों को स्मार्ट सिटी का तमगा बांटने वाले संस्थान ने अभी तक मेरठी दावे को कंसीडर तक नहीं किया है। इसके पीछे नौकरशाहों की लापरवाही हद दर्जे तक जिम्मेदार है।