– नगर निगम आठ साल से नहीं कर पा रहा है कूड़ा निस्तारण पर काम, लग चुका है जुर्माना।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। लोहियानगर कूड़ा निस्तारण प्रकरण में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी की नाराजगी के बाद नगर निगम हरकत में आया है। 13 नवंबर 2025 को होने वाली सुनवाई से पहले निगम अधिकारी आनन-फानन में सफाई और निस्तारण से जुड़े दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। जिसके लिए लोहियानगर में बने कूड़े के पहाड़ की उल्टा-पलटी के लिए मशीन लगाकर फोटो खिंचवाने का काम हो रहा है। ताकि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपने प्रयासों को दिखाया जा सके।

नगर निगम ने मंगलवार को लोहियानगर कूड़ा प्लॉट पर मशीनें लगाई, जो बुधवार को भी कूडेÞ के ढेर को इधर से उधर करती रही। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने बताया कि कूड़ा निस्तारण का कार्य जल्द ही शुरू कराया जाएगा। निगम की प्राथमिकता है कि एनजीटी को सकारात्मक रिपोर्ट दी जाए।
लोहियानगर में स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट पिछले छह माह से बंद पड़ा है। इस दौरान कूड़े के पहाड़ में कई बार आग लग चुकी है। जिससे आसपास के इलाकों जैसे जाहिदपुर, लोहियानगर, घोसीपुर, हाफिजपुर सहित करीब दस गांवों और हापुड़ रोड से गुजरने वाले लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। प्रदूषण के कारण हवा और पानी दोनों दूषित हो रहे हैं।
एनजीटी ने इसे लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी और निगम को सुधार के लिए समय दिया था। मगर छह महीने का समय बीत जाने के बाद भी निगम निष्क्रिय बना रहा।
अब सुनवाई से ठीक पहले निगम ने नया टेंडर जारी कर मशीनें लगवाई हैं और कूड़ा प्रसंस्करण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर रहा है। एनजीटी के समक्ष निगम को यह भी साबित करना होगा कि महानगर से कितना कूड़ा निकलता है और उसका निस्तारण किस प्रकार किया जा रहा है।
आग लगाने के आरोपी से पूछताछ जारी
उधर, लोहियानगर कूड़े के पहाड़ में लगी आग के मामले में पुलिस ने नामजद आरोपी यामीन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमर सिंह की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था। महापौर हरिकांत अहलूवालिया और नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने इस आगजनी को साजिशन बताया था। पुलिस दूसरे दिन भी आरोपी से पूछताछ कर रही है ताकि आग लगाने की वास्तविक वजह और संभावित साजिश का खुलासा किया जा सके। वहीं सूत्रों की मानें तो यामीन कबाड़ी है। वह कूड़ा बीनने वाले बांग्लादेशियों से इस कूड़े के पहाड़ के बीच से पॉलीथिन और प्लास्टिक उठवाने का काम करता है। आग लगाने के मामले में उसे लेकर पुलिस भी अभी तक किसी निश्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है।
ए टू जेड के आर्बिटेशन में फंसा नगर निगम
डोर टू डोर कूड़ा एकत्र करने के लिए नगर निगम ने ए टू जेड कंपनी से करार किया था। लेकिन यह करार बीच में खत्म हो गया। आरोप है कि निगम और कंपनी के बीच जो करार तय हुआ था, वह निगम पूरा नहीं कर पाया। जिसके चलते कंपनी की तरफ से आर्बिटेशन वाद दायर कर दिया गया। यह वाद निस्तारित हो गया है और नगर निगम पर 56 करोड़ रुपये का जुर्माना तय हुआ है। अब इस 56 करोड़ रुपये की देनदारी नगर निगम कैसे करेगा? इसे लेकर निगम में हड़कंप मचा हुआ है।


