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Wednesday, December 24, 2025
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मेरठ नगर निगम की बोर्ड बैठक: सफाई कर्मचारी संघ ने महापौर और नगर आयुक्त को घेरा, निगम की चाय से भी किया इंकार

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  • निगम की बोर्ड बैठक से पहले हंगामा,

  • पार्षद अपना खाना-पानी साथ लेकर आए।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। नगर निगम की बोर्ड बैठक में बुधवार को शुरू होने से पहले हंगामा हो गया। सीसीएसयू के बृहस्पति भवन में आज निगम की बोर्ड बैठक होनी है। बैठक शुरू होने से पहले ही हंगामा हो गया।

सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दिनेश मनोठिया ने बैठक में शामिल होने आ रहे महापौर हरिकांत अहलूवालिया और सौरभ गंगवार को रोक लिया। हाथ में स्लोगन लिखी पट्टी लेकर पहुंचे नगर निगम कर्मचारियों ने कहा कि वह सालों से कर्मचारियों से जुड़ी मांग उठने आ रहे हैं। लेकिन उनकी सुनवाई कोई नहीं कर रहा है। तरह-तरह से कर्मचारियों का अपमान किया जा रहा है।

अभी महापौर और नगर आयुक्त कर्मचारी से बात कर ही रहे थे कि अंदर कक्ष में मौजूद पार्षदों ने भी हंगामा कर दिया। यहां पार्षद आज अपने साथ अपना खाना, पानी और चाय लेकर पहुंचे थे। नगर निगम के कुछ कर्मचारियों ने चाय गिरा दी। पार्षदों का आरोप था कि जानबूझकर उनकी चाय बिखेरी गई है।

पार्षद पवन चौधरी ने बताया कि पिछली बोर्ड बैठक में नगर निगम के कर्मचारियों ने पार्षदों को अपमानित किया था। पिछली बोर्ड बैठक में खाने को लेकर विवाद हुआ था, जिसमें पार्षदों को अपशब्द कहे गए थे। इसी कारण आज पार्षद अपने साथ अपना खाना पानी और चाय लेकर आए हैं। महापौर हरिकांत अहलुवालिया, नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने कर्मचारियों को शांत किया और फिर कक्ष में पहुंचकर शांत किया।

बैठक शुरू होते ही बढ़े हाउस टैक्स और स्ट्रीट लाइट पर चर्चा शुरू हुई। अधिकांश पार्षदों ने बढ़े हाउस टैक्स को लेकर विरोध जताया।

पार्षदों ने एक स्वर में कहा कि टैक्स वसूली से निगम का राजस्व बढ़ेगा न कि टैक्स बढ़ाने से। पार्षदों ने आरोप लगाया कि टैक्स बढ़ाकर नगर निगम जनता का दो तरफ शोषण करने की तैयारी कर रहा है। एक तरफ जहां नियमित टैक्स जमा करने वालों पर भार पड़ेगा। वहीं निगम कर्मचारी बढ़े हाउस टैक्स को लेकर भ्रष्टाचार करते हुए जनता की जेब पर डाका डालेंगे।

वहीं स्ट्रीट लाइटों को लेकर भी पार्षदों ने कहा कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उस पर अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। क्योंकि शहर की अधिकांश स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हुई हैं। जिसका खमियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है। कानून व्यवस्था के लिए जहां बंद स्ट्रीट लाइट खतरा है, वहीं दुघर्टनाओं का भी कारण बन रही हैं।

 

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